नमस्ते
मेरे ब्लॉग का टाइटल आपको थोड़ा परेशान कर सकता है। पर ये बात सच है जिंदगी बड़ी कमिनी होती है। ये ब्लॉग उनके लिए तो बिल्कुल नही है जो गलती में गलत तरीके से पोजीटिव ढूंढते है। ये सिर्फ उनके लिये है जिन्होंने जिंदगी का कमीना पन देखा लेकिन अपने अंदर के अच्छे इंसान को कभी हारने नही दिया।
हा तो मैं कह रही थी जिंदगी कमीनी है। बताइये कैसे?
तो वो ऐसे हम हमारे इर्दगिर्द रह रहे सभी जिन्दा लोगों के लिए सबसे अच्छा करने की कोशिश करते है और फिर ये एक्सपेक्ट करने लगते है कि अब वो समय आ गया कि सबकुछ ठीक हो गया है तभी ये जिंदगी कोई ऐसा तांडव करती है जिसका हिसाब किताब ही नही रहता। अब कोमली की ही बात लेले।
कोमली बहोत मेहनती और अपने काम के प्रति कम्प्लीटली डेडिकेटेड फिर चाहे वो घर मे खाना बनाने का काम रहो या आफिस का सबमिशन रहो वो पूरी ईमानदारी और लगन से करेंगी।
तो हुआ यु बहोत सारे उतार-चढ़ाव देखने के बाद उसकी जिंदगी में सब कुछ ठीक होने की उसे खुशी मिलने लगी थी। उसने सब अच्छे से संभाल लिया था और उसे लगेने लगा की अब बस इससे अच्छे दिन और कहा मिलेंगे और वो अपने खुशहाल जिंदगी की बढ़ाई मारने की तैयारी में जुट ही गयी थी कि मनहूसियत ने उसके दरवाजे खट खताये और जिंदगी ने अपना कमीना पन दिखाना शुरू कर दिया।
बात उस दिन की है जब उसे सारी तैयारियां करके बाहर जाना था सिर्फ अपने बालको के साथ और उसने दिन की शुरुआत करदी और तभी उसके नकारे पति ने उसको चिढ़ाना शुरू कर दिया। कोमली पहले हँसी मजाक को हँसी में ले रही थी। पर जैसे ही उसकी नजर घडी पर पड़ी और उसने कहा, "पतिदेव अब बस मुझे देर हो रही है।" कि तभी पतिदेव के अंदर का जानवर बाहर आया और कोमली को सताने लगा। फिर वही कोमली ने गुस्सा जताया और बात कोमली को पीटने तक आयी। अब दो थप्पड पड़ने के बाद आप मे से कई मर्द ये कहेंगे अच्छा हुआ कोमली को मार पड़ी।
अब मुझे ये बताइये जब पतिदेव उसे चिढ़ाकर गुस्सा दिलाना चाहते थे तो उन्होंने तैयारी रखनी थी कोमली के गुस्से की। इसके बजाय खुदही मारपीट करने लगे।
थोड़ी देर कोमली को ये बात बुरी लगी वो रोने, चीखने, चिल्लाने लगी। बहोत तमाशा हुआ और कोमली कि परफेक्ट जिन्दगी का सपना असल मे एक रेत का महल बन गया।
लेकिन कोमली आज की नारी है। उसने पलट कर अपना कोमल मन त्यागकर कठोरता भरा रूप लिया और पती को कहा , "तुम मारपीट के अलावा और कुछ दूसरा कर नही सकते क्योंकि तुम्हे वही आता है। हिम्मत अगर है तो आओ चौराहे पर मुझे पीटकर दिखाओ।" पति ने घसीट कर ले जाना चाहा। पर क्या फायदा कोमली को मालूम था पति को कैसे हतबल करना।
अब हुआ यु की इसके बाद कोमली ने कहा, "सालो पहले जब मै नई नई तुम्हारी पत्नी बनी थी तब भी तुम मुझे चुप करने के लिए पीटते थे और आज भी पिटाई के अलावा और कुछ नही आता तुम्हें। पर सालो पहले मैं रोकर हतबल होती थी और सालों बाद मैं जानती हूं कि तुम्हे कैसे हतबल करना है। यही फर्क है तुम्हारे और मेरे बीच। "
जिंदगी ने कमीना पन दिखाया पिटाई करवाकर पर कोमली ने अपनी सूझ बूझ से पिटाई करने वाले को हतबल कर दिया। अब आप मुझे एक सवाल का जवाब दीजिये ऐसा कोमली ने क्या किया की उसके पती को हतबल होना पड़ा। आपके कमेन्ट अगली कहानी के लिए उपयुक्त होंगे। बस आजकी नारी क्या कर सकती है जरा बताइये।
अंततक पढने के लिए धन्यवाद।
मेरे ब्लॉग का टाइटल आपको थोड़ा परेशान कर सकता है। पर ये बात सच है जिंदगी बड़ी कमिनी होती है। ये ब्लॉग उनके लिए तो बिल्कुल नही है जो गलती में गलत तरीके से पोजीटिव ढूंढते है। ये सिर्फ उनके लिये है जिन्होंने जिंदगी का कमीना पन देखा लेकिन अपने अंदर के अच्छे इंसान को कभी हारने नही दिया।
हा तो मैं कह रही थी जिंदगी कमीनी है। बताइये कैसे?
तो वो ऐसे हम हमारे इर्दगिर्द रह रहे सभी जिन्दा लोगों के लिए सबसे अच्छा करने की कोशिश करते है और फिर ये एक्सपेक्ट करने लगते है कि अब वो समय आ गया कि सबकुछ ठीक हो गया है तभी ये जिंदगी कोई ऐसा तांडव करती है जिसका हिसाब किताब ही नही रहता। अब कोमली की ही बात लेले।
कोमली बहोत मेहनती और अपने काम के प्रति कम्प्लीटली डेडिकेटेड फिर चाहे वो घर मे खाना बनाने का काम रहो या आफिस का सबमिशन रहो वो पूरी ईमानदारी और लगन से करेंगी।
तो हुआ यु बहोत सारे उतार-चढ़ाव देखने के बाद उसकी जिंदगी में सब कुछ ठीक होने की उसे खुशी मिलने लगी थी। उसने सब अच्छे से संभाल लिया था और उसे लगेने लगा की अब बस इससे अच्छे दिन और कहा मिलेंगे और वो अपने खुशहाल जिंदगी की बढ़ाई मारने की तैयारी में जुट ही गयी थी कि मनहूसियत ने उसके दरवाजे खट खताये और जिंदगी ने अपना कमीना पन दिखाना शुरू कर दिया।
बात उस दिन की है जब उसे सारी तैयारियां करके बाहर जाना था सिर्फ अपने बालको के साथ और उसने दिन की शुरुआत करदी और तभी उसके नकारे पति ने उसको चिढ़ाना शुरू कर दिया। कोमली पहले हँसी मजाक को हँसी में ले रही थी। पर जैसे ही उसकी नजर घडी पर पड़ी और उसने कहा, "पतिदेव अब बस मुझे देर हो रही है।" कि तभी पतिदेव के अंदर का जानवर बाहर आया और कोमली को सताने लगा। फिर वही कोमली ने गुस्सा जताया और बात कोमली को पीटने तक आयी। अब दो थप्पड पड़ने के बाद आप मे से कई मर्द ये कहेंगे अच्छा हुआ कोमली को मार पड़ी।
अब मुझे ये बताइये जब पतिदेव उसे चिढ़ाकर गुस्सा दिलाना चाहते थे तो उन्होंने तैयारी रखनी थी कोमली के गुस्से की। इसके बजाय खुदही मारपीट करने लगे।
थोड़ी देर कोमली को ये बात बुरी लगी वो रोने, चीखने, चिल्लाने लगी। बहोत तमाशा हुआ और कोमली कि परफेक्ट जिन्दगी का सपना असल मे एक रेत का महल बन गया।
लेकिन कोमली आज की नारी है। उसने पलट कर अपना कोमल मन त्यागकर कठोरता भरा रूप लिया और पती को कहा , "तुम मारपीट के अलावा और कुछ दूसरा कर नही सकते क्योंकि तुम्हे वही आता है। हिम्मत अगर है तो आओ चौराहे पर मुझे पीटकर दिखाओ।" पति ने घसीट कर ले जाना चाहा। पर क्या फायदा कोमली को मालूम था पति को कैसे हतबल करना।
अब हुआ यु की इसके बाद कोमली ने कहा, "सालो पहले जब मै नई नई तुम्हारी पत्नी बनी थी तब भी तुम मुझे चुप करने के लिए पीटते थे और आज भी पिटाई के अलावा और कुछ नही आता तुम्हें। पर सालो पहले मैं रोकर हतबल होती थी और सालों बाद मैं जानती हूं कि तुम्हे कैसे हतबल करना है। यही फर्क है तुम्हारे और मेरे बीच। "
जिंदगी ने कमीना पन दिखाया पिटाई करवाकर पर कोमली ने अपनी सूझ बूझ से पिटाई करने वाले को हतबल कर दिया। अब आप मुझे एक सवाल का जवाब दीजिये ऐसा कोमली ने क्या किया की उसके पती को हतबल होना पड़ा। आपके कमेन्ट अगली कहानी के लिए उपयुक्त होंगे। बस आजकी नारी क्या कर सकती है जरा बताइये।
अंततक पढने के लिए धन्यवाद।
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