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रूठो बेशक अपनों से..
लेकिन मनाने पर मान जाओ
अपने आखिर अपने है..
बात ये तुम जान जाओ
होती है गलती..
गलती से
गलती न की हो जिसने कभी
सामने वो इंसान लाओ
अक्सर टूटने पर
पता चलती है अहमियत
अनमोल दिल के रिश्तों को पहचान जाओ..
बजती है ताली दोनों हाथों से
ये उसूल है दुनियादारी का..
सम्मान दो सम्मान पाओ
मुख से निकली बात..
तीर से निकली कमान
शरीर से निकले प्राण
लौट के नही आते..हो सके
तो वापस लाके दिखाओ
विश्वास की नाजुक डोर से
बँधे है कुछ लोग..
नही टूटते,नही बिछड़ते
चाहे जितना बुनियाद हिलाओ
लौटकर आता है तुम्हारा
तुम्ही के पास..
व्यवहार करो सबके साथ वैसा ही
जैसा तुम सबसे अपने लिये चाहो
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