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सदा भवानी दाहिनी। सदा भवानी दाहिनी। सनमुख रहत गणेश।
पांच देव रझा करियो, की ब्रम्हा विष्णु महेश।
गणनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान।।धृ।।
प्रथम याचना किनी आपसु। शरण लीणो आन।
रणक भवर गढ़ आप, बिरजो दुनिया धरगी थारो ध्यान।।
गणनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान।।१ ।।
पड्या लिख्या म्हे ऐसा नाही न कोई दूसरा ज्ञान।
कर में कलम रुक गई, मेरे आप करो कल्याण।
गणनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान।।२ ।।
शिव योगी के पुत्र लाडले जिनके अद्भुत भाल।
मुझ ऊपर कृपा करो हे पार्वती के लाल।
गणनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान।।३ ।।
सब सेवक अरदास करत है। चरणों में पड्यो आन।
हृदय माय करो उजियालो हरदम उपजे ज्ञान।
गणनायक राजा राखो सभा में म्हारो मान।।४ ।।
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