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देह का आकर्षण ही सब आकर्षणों का जन्मदाता है इस लिए इस आकर्षण से बचे
देह का आकर्षण वह मीठी तलवार है जो सारे पुण्यो को काट कर रख देता है । कितने जन्म इस देह और देह की आकर्षण में व्यर्थ गवां दिए, दुखी होते रहे । और अब जबकि हमको उसका साथ मिला है तो हमे चाहिए कि सिर्फ उसका और उसका ही साथ करें।
मनुष्यो के साथ भल रहें परन्तु उन्हें अपना सच्चा साथी ना बनाये और ना बने । सम्बन्ध निभाएं परन्तु बन्धन ना पाले । केवल उस प्रभु को ही अपना सच्चा साथी बना ले । देह का आकर्षण ही अन्य आकर्षणों का जन्मदाता है । इस लिए इस आकर्षण से बचे ।
मजबूती से परमात्मा का हाथ पकड़े रहें और सर्व सम्बन्धो के स्वर्गिक सुखो के झूले में झूलते रहें । सफलता की चोटी तक पहुँचने और उस चोटी पर कायम रहने के लिए एक पेड़ की तरह अपनी जड़ो को मजबूत रखना पड़ता है । नही तो थोडा सा भी ध्यान इधर उधर हुआ , डगमग हुए तो सीधे नीचे ।
प्रभु से भी अपने सम्बन्धो को इतना ही मजबूत बनाये रखें तो ये देह के बंधन स्वत: टूट जायेगे।
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