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सौ किस्से हैं .. मिलते जुलते
इक मज़बूरी .. ठीक नहीं ;
जो कहना है .. खुल के कह दे
बात अधूरी .. ठीक नहीं ;
कोई हीला .. कोई बहाना
कोई मुनासिब .. राह निकाल ;
मुझ से ऐसे .. मिलते रहना
ग़ैर ज़रूरी .. ठीक नहीं ;
रोज़ मुहब्बत .. हो जाती है
चलते फिरते .. लोगों से ;
गीत अधूरे .. ख़्वाब अधूरे
ये मज़दूरी .. ठीक नहीं ;
इक शिक़स्त के बदले .. मुझ को
सब के सब .. इलज़ाम न दे ;
कुछ कुछ तेरी .. बात है सच्ची
लेकिन पूरी .. ठीक नहीं ;
हम महफ़िल में .. आये यूं
वो पीछे जा कर .. बैठ गए ;
हम से दूरी .. अच्छी है
पर इतनी दूरी .. ठीक नहीं
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