आप समस्त स्नेहीजनो को हमारा स्नेह वन्दन
॥ जय श्री राम ॥
शुभ संध्या
कल्लू को लकड़ी की जरूरत थी । उसके घर उसकी पत्नी और वह दोनों ही रहते थे। कल्लू ने पत्नी से कहा - सुन मै लकड़ी लाने जंगल जा रहा हूँ मै बाहर से दरवाजा लगा जाता हूँ तुम भी अंदर से दरवाजा लगा देना मै शाम तक ही वापस आऊँगा। अगर कोई बीच में दरवाजा खटखटाये तो दरवाजा मत खोलना । और वह जंगल चला गया । तभी रास्ते में उसे याद आया की वह लकड़ी बांधने के लिए रस्सी लाना तो भूल गया । वह रास्ते से वापस घर आया और दरवाजा खटखटाया । उसकी पत्नी ने सोचा ये कौन आ गया मेरे पति तो शाम को आने वाले है उसने दरवाजा नही खोला । कल्लू ने फिर दरवाजा खटखटाया पर दरवाजा नहीं खुला । उसने आवाज लगाई अब भी दरवाजा नही खुला तो उसने गुस्से से दरवाजा तोड़ दिया । उसकी पत्नी को डर के कारण कुछ समझ नही आ रहा था । तभी उसने चोर को सबक सिखाने के लिए डण्डा उठाया और चोर समझ अपने पति को मारने लगी।
आस- पड़ोस के सभी लोग इकठ्ठा हो गए। कुछ लोगो ने कल्लू को उठाया और उसकी पत्नी से पूछा क्यों तुझे खुद का पति नही दिखाई देता । झुम्मक की पत्नी सकुचाई और डंडा हाथ से गिर गया। वह डरते हुए बोली - भाई साहब मै हमेशा पर्दा में ही रहती हूँ । आज तक पति की सूरत अच्छे से नही देखी और इन्होंने ही तो कहा था की मै जंगल जा रहा हूँ । शाम तक वापस आऊँगा। अगर बीच में कोई आये और दरवाजा खटखटाये तो दरवाजा मत खोलना ।
कल्लू खाट पर सिर पकड़ बैठ गया ।
प्रणाम
शुभ संध्या
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