"कोई नहीं"
सीता के राम थे रखवाले, जब हरण हुआ तब कोई नहीं
द्रौपदी के पाँच पाण्डव थे, जब चीर हरा तब कोई नहीं
दशरथ के चार दुलारे थे, जब प्राण तजे तब कोई नहीं
रावण भी शक्तिशाली थे, जब लंका जली तब कोई नहीं
श्री कृष्ण सुदर्शनधारी थे, जब तीर चुभा तब कोई इ
लक्ष्मण भी भारी योद्धा थे, जब शक्ति लगी तब कोई नहीं
शरशैय्या पर पड़े पितामह, पीड़ा का सांझी कोई नहीं
अभिमन्यु राजदुलारे थे, पर चक्रव्यूह में कोई नहीं
मैं तुम से कहूँ दुनिया वालो, सँसार में अपना कोई नहीं
जो लेख लिखे उस मालिक ने, उस लेख के आगे कोई नहीं
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