एक चिंतन
तरुण सागर जी की 51 की उम्र में मृत्यु ने ये सोचने को मजबूर कर दिया की जीवन में कुछ भी तय नहीं है। उन्होंने तो सारा जीवन सादा भोजन खाया, पुरे समय पैदल चलते थे, फिरभी वो बच ना सके।
फिर हम लोग क्यों सबको सलाह देते हैं कि, ये मत खाओ, वो मत खाओ, वॉक करो, व्यायाम करो। ये तो तय हो गया कि जो होना है वो होकर रहता है।
कोई कहे कि, शनी की साढ़े साती दशा चल रही है, गुरु उच्च दशा पर है, राहू की दशा चल रही है, काल सर्प योग है, सिल्वर के नाग दान करो, पितृ दोष है, गया जी जाओ, नासिक जाओ, काल सर्प योग निकलवाओ.... सब बकवास है।
दरअसल ईश्वर आपको कष्ट को सहन करने की शक्ति देता है। 70% आपके कर्म और 30% आपका भाग्य, यही सत्य है।
बाकी सब झूठ।
कल क्या होना है, कोई माई का लाल नहीं बता सकता। जीवन में जो करना है वह हर पल करते चलो बाद किसने देखा
फिर हम लोग क्यों सबको सलाह देते हैं कि, ये मत खाओ, वो मत खाओ, वॉक करो, व्यायाम करो। ये तो तय हो गया कि जो होना है वो होकर रहता है।
कोई कहे कि, शनी की साढ़े साती दशा चल रही है, गुरु उच्च दशा पर है, राहू की दशा चल रही है, काल सर्प योग है, सिल्वर के नाग दान करो, पितृ दोष है, गया जी जाओ, नासिक जाओ, काल सर्प योग निकलवाओ.... सब बकवास है।
दरअसल ईश्वर आपको कष्ट को सहन करने की शक्ति देता है। 70% आपके कर्म और 30% आपका भाग्य, यही सत्य है।
बाकी सब झूठ।
कल क्या होना है, कोई माई का लाल नहीं बता सकता। जीवन में जो करना है वह हर पल करते चलो बाद किसने देखा
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