जिस पुरुष के राज़ में स्त्री दुखी है,
उस पुरुष के घर में कभी ख़ुशी नहीं आ सकती।
जो स्त्री को नहीं समझ सकता वो
वेद और उपनिषद भी नहीं समझ सकता ।।
ईश्वर का सब से सुन्दर शास्त्र नारी है,
जिस ने उसे पढ़ लिया,समझ लिया,
उसे फिर किसी शास्त्र की जरूरत नहीं है।
क्यों की नारी भावना और प्रेम भाव दोनों से भरी है।
कभी उस के तन को भूल कर उस की ममता रूपी प्रेम की सूरत को समझो तो स्वयं
ही जान जाओगे की तुम ने क्या पा लिया ।
तंत्र में लोग नारी की उपस्थिति पहले करते हैं
और ये जीवन भी तन्त्र से अलग नहीं।
नारी
तुम को सम्पूर्णता देती है, तुम्हारे पुरषार्थ को चमकाती है,तुम को पत्नी होकर प्रेमिका
होकर बहन होकर किसी भी रूप में जब तुम से जुड़ती है तो प्रेम ही देती है यदि वो तुम
पर अधिकार जताती है तो ये भी उस का प्रेम है वो माँ के रूप से तुम को बच्चे जैसा दुलार देती है और कोई माँ नहीं चाहती की उस का बेटा उस से दूर हो।
जरा ध्यान से समझें उस के हर भाव को,तुम पाओगे कि तुम इतना नहीं जितना वो तुम को प्रेम करती है ।
वस्तु न समझो,
हवस से न देखो,
कभी माँ की दृष्टि से देखो तो तुम,
यदि तुम ने अपने अंदर की प्यास को ममता के रूप में बदल दिया तो तुम किसी योगी से कम नहीं ।
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