शायरी हो और फितरत का जिक्र न हो ये हो नहीं सकता। कुछ शेर सिर्फ आप शायरी के आशिको के लिए फितरत बयां करते। जरुर पुरे पढना और बाकि सभी के साथ शेयर करना।
१)
फितरत किसी की ना आजमाया कर ऐ जिंदगी,
हर शख्स अपनी हद में बेहद लाजवाब होता है|
२)
गैरों पर मरने की उनकी फितरत हो गयी,
हमारी मोहब्बत उनकी शिकायत हो गयी,
सारी दुनिया को चाहते है वो अपनाना,
बस एक मेरे ही नाम से उन्हे नफरत हो गयी…
३)
अदब से झुक जाना हमारी फितरत में शामिल था...
मगर हम क्या झुके लोग खुदा हो गए...!!
४)
घड़ी की फितरत भी अजीब है,
हमेशा टिक-टिक कहती है,
मगर, ना खुद टिकती है,
और ना दूसरों को टिकने देती है !”
५)
हर किसी से मोहब्बत करना मेरी फितरत में नहीं मगर,
जब किसी को चाह लेते हैं तो ज़िंदगी उस पर वार देते हैं ….
६)
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त;
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते..!!
७)
तुम को चाहने की वजह कुछ भी नहीं..
बस इश्क़ की फितरत है बेवजह होना..
८)
मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना ,
अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी..।।
९)
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते,
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की .....
१०)
बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क.
रुकता भी नहींथकता भी नहीं.थमता भी नहीं.और मिलता भी नहीं
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