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Tuesday 24 April 2018

शायरी के पन्ने : नसीब


नसीब को मानना न मानना ये तो हर एक की अपनी अपनी सोच है| यहाँ कुछ शायरी है नसीब की बाते बयां करती| अगर आप शायरी के शौकीन है तो जरुर पढ़िए और अपने सोशल मिडिया पर जरुर शेयर करिए| धन्यवाद!




१)
एक उम्र गुस्ताखियों के लिए भी नसीब होनी चाहिये,
ये कम्बख्त जिन्दंगी तो बस अदब और लिहाज में ही गई|

२)
वक्त सिखा देता है इंसान को फलसफा जिंदगी का फिर तो
नसीब क्या, लकीर क्या, तकदीर क्या ..

३)
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं...!!!
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है...!!!

४)
"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"...

५)
जन्नत--इश्क में हर बात अजीब होती है,
किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है।

६)
कब मिल जाए किसी को मंज़िल ये मालूम नहीं,
इंसान के चेहरे पे उसका नसीब लिखा नहीं होता..

७)
हमें ना हुक्म का इक्का बनना है , ना रानी या बादशाह .
हम जोकर ही अच्छे है जिसके नसीब में आयेंगे बाजी पलट देंगे ..

८)
तुम मेरे नसीब में नहीं हो तो क्या हुआ
तुम जिसके नसीब में हो उसे "टेंशन" मुबारक

९)
दीदार की तलबहो तो नज़रे जमाये रखना ग़ालिब';
क्युकी, ‘नकाबहो या नसीब’… सरकता जरुर है।

१०)
अपने गम की नुमाइश ना कर,
अपने नसीब से फरमाइश ना कर,
जो तेरा है तेरे दर एक दिन आएगा,
रोज़-रोज़ उसे पाने की ख्वाइश ना कर.

और भी शायरी के पन्ने आप पढ़ सकते है मेरे इसी ब्लॉग पर| इसीलिए फोलो करे और शेयर करते रहिये। 

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