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Tuesday 30 January 2018

कृष्ण वंदन

सुप्रभात वंदन 
प्यार भी 'कृष्ण ' से है...
तकरार भी 'कृष्ण' से है...
आस भी 'कृष्ण ' से है...
विश्वास भी 'कृष्ण ' से है ...
रुठना भी 'कृष्ण' से है...
मनाना भी 'कृष्ण' से है ...
बात भी 'कृष्ण' से है...
मिसाल भी 'कृष्ण' से है...
दोस्ती भी 'कृष्ण' से है....
शाम भी 'कृष्ण ' से है ...
जिन्दगी की शुरुआत भी 'कृष्ण ' से है ...
जिन्दगी मे मुलाकात भी 'कृष्ण ' से है ...
मौहब्बत भी 'कृष्ण ' से है...
इनायत भी 'कृष्ण ' से है ...
काम भी 'कृष्ण ' से है ...
नाम भी 'कृष्ण' से है...
ख्याल भी 'कृष्ण ' से है...
अरमान भी 'कृष्ण ' से है...
ख्वाब भी 'कृष्ण ' से है...
माहौल भी 'कृष्ण ' से है...
यादे भी 'कृष्ण ' से है...
मुलाकात ेभी 'कृष्ण ' से है !
सपने भी 'कृष्ण ' से है...
अपने भी 'कृष्ण' से है !
या यूं कहो .....
अपनी तो दुनिया ही 'कृष्ण' से है !
!! " जय श्री कृष्णा " !! 
जयश्रीराधेकृष्णा
आपका दिन शुभ मंगलमय और खुशियो भरा कृष्णमय हो 


मोर

गोकुल में एक मोर रहता था। वह रोज़ भगवान कृष्ण भगवान के दरवाजे पर बैठकर एक भजन गाता था-
“मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे।"

रोज आते-जाते भगवान के कानों में उसका भजन तो पड़ता था लेकिन कोई खास ध्यान न देते। मोर भगवान के विशेष स्नेह की आस में रोज भजन गाता रहा।

एक-एक दिन करते एक साल बीत गए. मोर बिना चूके भजन गाता रहा। प्रभु सुनते भी रहे लेकिन कभी कोई खास तवज्जो नहीं दिया।

बस वह मोर का गीत सुनते, उसकी ओर एक नजर देखते और एक प्यारी सी मुस्कान देकर निकल जाते। इससे ज्यादा साल भर तक कुछ न हुआ तो उसकी आस टूटने लगी।

साल भर की भक्ति पर भी प्रभु प्रसन्न न हुए तो मोर रोने लगा। वह भगवान को याद करता जोर-जोर से रो रहा था कि उसी समय वहां से एक मैना उड़ती जा रही थी।

उसने मोर को रोता हुआ देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आश्चर्य इस बात का नहीं था कि कोई मोर रो रहा है अचंभा इसका था कि श्रीकृष्ण के दरवाजे पर भी कोई रो रहा है।

मैना सोच रही थी कितना अभागा है यह पक्षी जो उस प्रभु के द्वार पर रो रहा है जहां सबके कष्ट अपने आप दूर हो जाते हैं।

मैना, मोर के पास आई और उससे पूछा कि तू क्यों रो रहा है.?

मोर ने बताया कि पिछले एक साल से बांसुरी वाले छलिये को रिझा रहा है, उनकी प्रशंसा में गीत गा रहा है लेकिन उन्होंने आज तक मुझे पानी भी नही पिलाया।

यह सुन मैना बोली- मैं बरसाने से आई हूँ। तुम भी मेरे साथ वहीं चलो। वे दोनों उड़ चले और उड़ते-उड़ते बरसाने पहुंच गए।

मैना बरसाने में राधाजी के दरवाजे पर पहुंची और उसने अपना गीत गाना शुरू किया-
"श्री राधे-राधे-राधे, बरसाने वाली राधे।"

मैना ने मोर से भी राधाजी का गीत गाने को कहा। मोर ने कोशिश तो की लेकिन उसे बांके बिहारी का भजन गाने की ही आदत थी।

उसने बरसाने आकर भी अपना पुराना गीत गाना शुरू कर दिया-
"मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे।”

राधाजी के कानों में यह गीत पड़ा। वह भागकर मोर के पास आईं और उसे प्रेम से गले लगा लगाकर दुलार किया।

राधाजी मोर के साथ ऐसा बर्ताव कर रही थीं जैसे उनका कोई पुराना खोया हुआ परिजन वापस आ गया है। उसकी खातिरदारी की और पूछा कि तुम कहां से आए हो.?

मोर इससे गदगद हो गया। उसने कहना शुरू किया- जय हो राधा रानी आज तक सुना था की आप करुणा की मूर्ति हैं लेकिन आज यह साबित हो गया।

राधाजी ने मोर से पूछा कि वह उन्हें करुणामयी क्यों कह रहा है। मोर ने बताया कि कैसे वह सालभर श्याम नाम की धुन रमाता रहा लेकिन कन्हैया ने उसे कभी पानी भी न पिलाया।

राधाजी मुस्कराईं। वह मोर के मन का टीस समझ गई थीं और उसका कारण भी।

राधाजी ने मोर से कहा कि तुम गोकुल जाओ। लेकिन इसबार पुराने गीत की जगह यह गाओ- जय राधे राधे राधे, बरसाने वाली राधे।

मोर का मन तो नहीं था करुणामयी को छोड़कर जाने का, फिर भी वह गोकुल आया राधाजी के कहे मुताबिक राधे-राधे गाने लगा।

भगवान श्रीकृष्ण के कानों में यह भजन पड़ा और वह भागते हुए मोर के पास आए, गले से लगा लिया और उसका हाल-चाल पूछने लगे।

श्रीकृष्ण ने पूछा कि मोर, तुम कहां से आए हो। इतना सुनते ही मोर भड़क गया।

मोर बोला- वाह छलिये, एक साल से मैं आपके नाम की धुन रमा रहा था, लेकिन आपने तो कभी पानी भी नहीं पूछा। आज जब मैंने पार्टी बदल ली तो आप भागते चले आए।

भगवान मुस्कुराने लगे। उन्होंने मोर से फिर पूछा कि तुम कहां से आए हो।

मोर सांवरिए से मिलने के लिए बहुत तरसा था। आज वह अपनी सारी शिकवा-शिकायतें दूर कर लेना चाहता था।

उसने प्रभु को याद दिलाया- मैं वही मोर हूं जो पिछले एक साल से आपके द्वार पर “मेरा कोई ना सहारा बिना तेरे, गोपाल सांवरिया मेरे, माँ बाप सांवरिया मेरे” गाया करता था।
सर्दी-गर्मी सब सहता एक साल तक आपके दरवाजे पर डटा रहा और आपकी स्तुति करता रहा लेकिन आपने मुझसे पानी तक न पूछा। मैं फिर बरसाने चला गया। राधाजी मिलीं। उन्होंने मुझे पूरा प्यार-दुलार दिया।

भगवान श्रीकृष्ण मुग्ध हो गए। उन्होंने मोर से कहा- मोर, तुमने राधा का नाम लिया यह तुम्हारे लिए वरदान साबित होगा। मैं वरदान देता हूं कि जब तक यह सृष्टि रहेगी, तुम्हारा पंख सदैव मेरे शीश पर विराजमान होगा।

जय श्रीराधे-राधे..👣🙇🏻👏🌹🌺🌷

सलाम

एक लड़का एक लड़की को छेड़ रहा था ,

लड़की ने उसे कहा-क्या प्रॉब्लम है,

बुलाऊ पुलिस को . . ?

लड़के ने कहा -
पुलिस को बुलाएगी .

बुला पुलिस को ,

तेरी जेसी बहोत देखी है मैंने . .

और उसने उस पर बन्दुक तान दी ,

वो लड़की रोने लग गयी . ?

पास में बहुत सारी भीड़ इकठ्ठी हो गयी ,

सब तमाशा देख रहे थे ,

इतने में जो लड़के ने कहा उसे सुनकर सब
ताज्जुब में पड़ गए ,

शर्म के मारे किसी का सर नही उठा .

लड़के ने कहा -
बचाने नही आओगे इसे . ?

क्या इतनी भीड़ में किसी की हिम्मत नही ,
की इस लड़की को बचा सके ,

कल जब इंडिया गेट पर इसकी लाश
पड़ी होगी ,
तब जनाजे में बहोत भीड़ होगी .

इसकी जगह आपकी कोई बहन होती ,
तो क्या आप ऐसे ही खड़े
तमाशा देखते . ?

क्या इस लड़की की मौत पर
सिर्फ न्यूज़ पेपर पर हेड लाइन ही काफी है क्या . ?

क्या यही है हमारा देश ,
यही है हमारे देश के युवा . ?

मर जाना चाहिए तुमको . .
की तुम अपनी बहन बेटियो के हिफाजत नही कर सकते . ?

सबको अपने फेसबुक प्रोफाइल पर तिरंगे या देशभक्ति की पिक्चर लगाने का शौक है .
लेकिन कोई उसकी
मर्यादा का ध्यान नही देता ,

ये लड़की मर रही है तुम
लोग तमाशा देख रहे हो . ?

फिर उस लड़के ने कहा -
इस लड़की जेसी मेरी बहन थी .
मार डाला . दरिंदो ने,
तुम लोगो की हैवानियत ने .

सब ऐसे ही तमाशा देखते रह गए , किसी ने उसकी मदद नही की . ?

अब यही होगा तुम लोगो के साथ ,

फिर देखना तमाशा . ?

फिर उस लड़के ने उस लड़की से माफ़ी मागते हुए कहा -
बहन माफ़ करना ,
मेरा आपका दिल दुखाने का इरादा
नही था .

शायद मेरे इस प्रयास से इन लोगो की
अंतरात्मा जाग जाए .?

उस लड़की ने वापस कहा -
भैया आपको मेरा सलाम ,

काश सब ऐसे होते तो आपकी बहन आज जिन्दा होती ,

आज से आप मेरे भाई हो .

Tumko Tumari Sister Ki Kasam Apke Pass Jitne
Group He Us Sab Group Me Send Kare                              sory yaar muje bhi kasam di gayi he.....




    I love my sister

खूबसूरत

*aaj tak maine aisa sms nahi pdha*____

पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा....

छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया...

अब फाइनल इंटरव्यू
कंपनी के डायरेक्टर को लेना था...

और डायरेक्टर को ही तय
करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं...

डायरेक्टर ने छात्र का सीवी (curricular vitae)  देखा और पाया  कि पढ़ाई के साथ- साथ यह  छात्र ईसी (extra curricular activities)  में भी हमेशा अव्वल रहा...

डायरेक्टर- "क्या तुम्हें  पढ़ाई के दौरान
कभी छात्रवृत्ति (scholarship)  मिली...?"

छात्र- "जी नहीं..."

डायरेक्टर- "इसका मतलब स्कूल-कॉलेज  की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे.."

छात्र- "जी हाँ , श्रीमान ।"

डायरेक्टर- "तुम्हारे पिताजी  क्या काम  करते  है?"

छात्र- "जी वो लोगों के कपड़े धोते हैं..."

यह सुनकर कंपनी के डायरेक्टर ने कहा- "ज़रा अपने हाथ तो दिखाना..."

छात्र के हाथ रेशम की तरह मुलायम और नाज़ुक थे...

डायरेक्टर- "क्या तुमने कभी  कपड़े धोने में अपने  पिताजी की मदद की...?"

छात्र- "जी नहीं, मेरे  पिता हमेशा यही चाहते थे
कि मैं पढ़ाई  करूं और ज़्यादा से ज़्यादा किताबें
पढ़ूं...

हां , एक बात और, मेरे पिता बड़ी तेजी  से कपड़े धोते हैं..."

डायरेक्टर- "क्या मैं तुम्हें  एक काम कह सकता हूं...?"

छात्र- "जी, आदेश कीजिए..."

डायरेक्टर- "आज घर वापस जाने के बाद अपने पिताजी के हाथ धोना...
फिर कल सुबह मुझसे आकर मिलना..."

छात्र यह सुनकर प्रसन्न हो गया...
उसे लगा कि अब नौकरी  मिलना तो पक्का है,

तभी तो  डायरेक्टर ने कल फिर बुलाया है...

छात्र ने घर आकर खुशी-खुशी अपने पिता को ये सारी बातें बताईं और अपने हाथ दिखाने को कहा...

पिता को थोड़ी हैरानी हुई...
लेकिन फिर भी उसने बेटे
की इच्छा का मान करते हुए अपने दोनों हाथ उसके
हाथों में दे दिए...

छात्र ने पिता के हाथों को धीरे-धीरे धोना शुरू किया। कुछ देर में ही हाथ धोने के साथ ही उसकी आंखों से आंसू भी झर-झर बहने लगे...

पिता के हाथ रेगमाल (emery paper) की तरह सख्त और जगह-जगह से कटे हुए थे...

यहां तक कि जब भी वह  कटे के निशानों पर  पानी डालता, चुभन का अहसास
पिता के चेहरे पर साफ़ झलक जाता था...।

छात्र को ज़िंदगी में पहली बार एहसास हुआ कि ये
वही हाथ हैं जो रोज़ लोगों के कपड़े धो-धोकर उसके
लिए अच्छे खाने, कपड़ों और स्कूल की फीस का इंतज़ाम करते थे...

पिता के हाथ का हर छाला सबूत था उसके एकेडैमिक कैरियर की एक-एक
कामयाबी का...

पिता के हाथ धोने के बाद छात्र को पता ही नहीं चला कि उसने  उस दिन के बचे हुए सारे कपड़े भी एक-एक कर धो डाले...

उसके पिता रोकते ही रह गए , लेकिन छात्र अपनी धुन में कपड़े धोता चला गया...

उस रात बाप- बेटे ने काफ़ी देर तक बातें कीं ...

अगली सुबह छात्र फिर नौकरी  के लिए कंपनी के  डायरेक्टर के ऑफिस में था...

डायरेक्टर का सामना करते हुए छात्र की आंखें गीली थीं...

डायरेक्टर- "हूं , तो फिर कैसा रहा कल घर पर ?
क्या तुम अपना अनुभव मेरे साथ शेयर करना पसंद करोगे....?"

छात्र- " जी हाँ , श्रीमान कल मैंने जिंदगी का एक वास्तविक अनुभव सीखा...

नंबर एक... मैंने सीखा कि सराहना क्या होती है...
मेरे पिता न होते तो मैं पढ़ाई में इतनी आगे नहीं आ सकता था...

नंबर दो... पिता की मदद करने से मुझे पता चला कि किसी काम को करना कितना सख्त और मुश्किल होता है...

नंबर तीन.. . मैंने रिश्तों की अहमियत पहली बार
इतनी शिद्दत के साथ महसूस की..."

डायरेक्टर- "यही सब है जो मैं अपने मैनेजर में देखना चाहता हूं...

मैं यह नौकरी केवल उसे  देना चाहता हूं जो दूसरों की मदद की कद्र करे,
ऐसा व्यक्ति जो काम किए जाने के दौरान दूसरों की तकलीफ भी महसूस करे...

ऐसा शख्स जिसने
सिर्फ पैसे को ही जीवन का ध्येय न बना रखा हो...

मुबारक हो, तुम इस नौकरी  के पूरे हक़दार हो..."

आप अपने बच्चों को बड़ा मकान दें, बढ़िया खाना दें,
बड़ा टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर सब कुछ दें...

लेकिन साथ ही  अपने बच्चों को यह अनुभव भी हासिल करने दें कि उन्हें पता चले कि घास काटते हुए कैसा लगता है ?

उन्हें  भी अपने हाथों से ये  काम करने दें...

खाने के बाद कभी बर्तनों को धोने का अनुभव भी अपने साथ घर के सब बच्चों को मिलकर करने दें...

ऐसा इसलिए
नहीं कि आप मेड पर पैसा खर्च नहीं कर सकते,
बल्कि इसलिए कि आप अपने बच्चों से सही प्यार करते हैं...

आप उन्हें समझाते हैं कि पिता कितने भी अमीर
क्यों न हो, एक दिन उनके बाल सफेद होने ही हैं...

सबसे अहम हैं आप के बच्चे  किसी काम को करने
की कोशिश की कद्र करना सीखें...

एक दूसरे का हाथ
बंटाते हुए काम करने का जज्ब़ा अपने अंदर
लाएं...

यही है सबसे बड़ी सीख..............

उक्त कहानी यदि पसंद आई हो तो अपने परिवार में सुनाएँ और अपने बच्चों को सर्वोच्च शिक्षा प्रदान कराये

आँखे बन्द करके जो प्रेम करे वो 'प्रेमिका' है।
आँखे खोल के जो प्रेम करे वो 'दोस्त' है।
आँखे दिखाके जो प्रेम करे वो 'पत्नी' है।
अपनी आँखे बंद होने तक जो प्रेम करे वो 'माँ' है।
परन्तु आँखों में प्रेम न जताते हुये भी जो प्रेम करे वो 'पिता' है।
दिल से पढ़ो और ग़ौर करो
💓💞💕💓💗💓💕💖

👏👏👏👏👏👏👏🙌कृपया इस खूबसूरत संदेश हर दिल अज़ीज़ के साथ शेयर करें🙏

Strategic Alliances

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