1====
खिदमत की मैँने माँ की तो जन्ऩत महक उठी.. माँ ने दुआएँ दे दी तो किस्मत चमक उठी.. .
तहजीब वो सिखाई मेरी माँ ने मुझे कि सारे जमाने मे मेरी इज्जत महक उठी.
2====
सुंदरता से बढ़कर चरित्र है। प्रेम से बढ़कर त्याग है। दौलत से बढ़कर मानवता है। परंतु सुंदर रिश्ते से बढ़कर दुनियाँ में कुछ भी नहीं है।
3=====
जीवन में इन दो नियमों का पालन अवश्य करें:-
1) मित्र और रिश्तेदार सुखी हों तो बिना निमंत्रण के उनके पास कभी ना जाएँ।
और
2) अगर किसी परेशानी या दुःख में हों तो, निमंत्रण की प्रतीक्षा कभी ना करें।
4====
"मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है....
तभी तो "मतलब" निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.......
5====
एक रविवार ही है जो रिश्तों को संभालता है ....
बाकी दिन किश्तों को संभालने में खर्च हो जाते है...
6====
टुट जाते है रिश्ते गरीबों के जो खास होते है ....
दुश्मन भी दोस्त बन जाते है जब पैसे पास होते है
7====
मां बाप की मूरत है गुरू
कलयुग में भगवान की सूरत है गुरू
अक्षर ज्ञान ही नहीं गुरू ने सिखाया जीवन ज्ञान
गुरूमंत्र को आत्मसात हो जाओ भवसागर से पार
8====
गुमनामी के अंधेरे में था पहचान बना दिया
दुनिया के गम से मुझे अनजान बना दिया उनकी
ऐसी कृपा हुई गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया
9====
मेरी पत्नी शिक्षक नही, पर बच्चों की सबसे बड़ी गुरु वही है
वो चिकित्सक भी नही, पर हमारे हर मर्ज का इलाज है उसके पास।
वो एम.बी.ए. भी नही, पर घर/बाहर का मेनेजमेन्ट जानती है बखूबी ।
वो गणित मे कमजोर थी, फिर भी दुखों का घटाव और खुशियों का जोड़ गुणा जाने कैसे करती थी..?
उसके पास कोई डिग्री नही, पर लगता है उससे बड़ा कोई संस्थान नही।
ऎसा संस्थान जहाँ बच्चों का हर "डाटा ""फीड " है,
मुझ तक हर सूचना वहीं से आती है।
मैं अपने पिता ब्रम्ह होने का गर्व करूं,
तब तक मानो वह सृष्टि ही रच आती है।
10===
रिशते, आजकल रोटी की तरह हो गए जरा सी
आंच तेज क्या हुई जल भुनकर खाक हो गए।
No comments:
Post a Comment