करता हूं अनुरोध आज मै दिल्ली की सरकार से,
प्रतिभाओं को मत काटो आरक्षण की तलवार से।
वर्ना रेल पटरियो पर जो फैला आज तमाशा है,
गुर्जर आन्दोलन से फैली चारो ओर निराशा है।
अगला कदम जाट बैठेंगे महाविकट हडताल पर,
महाराष्ट मे प्रबल मराठा चढ जाएंगे भाल पर।
राजपूत भी मचल उठेंगे भुजबल के हथियार से,
प्रतिभाओं को मत काटो आरक्षण की तलवार से।
निर्धन ब्राम्हण वंश एक दिन परशुराम बन जाएगा,
अपने ही घर के दीपक से अपना घर जल जाएगा।
भडक उठा गृह युध्द अगर भूकम्प भयानक आएगा,
आरक्षण वादी नेताओं का सर्वस्व मिटाऐगा।
अभी सॅभल जाओ मित्रो इस स्वार्थ भरे व्यापार से,
प्रतिभाओं को मत काटो आरक्षण की तलवार से।
जातिवाद की नही समस्या मात्र गरीबी वाद है,
जो सवर्ण है पर गरीब है उनका क्या अपराध है।
कुचले दबे लोग जिनके घर मे न चूल्हा जलता है,
भूंखा बच्चा जिस कुटिया मे लोरी खाकर पलता है।
समय आ गया है उनका उत्थान कीजिये प्यार से,
प्रतिभाओं को मत काटो आरक्षण की तलवार से।
जाति गरीबी की कोई भी नही मित्रवर होती है,
वह अधिकारी है जिसके घर भूखी मुनिया सोती है।
भूखे माता पिता दवाई बिना तडपते रहते है,
जातिवाद के कारण कितने लोग वेदना सहते है।
उन्हे न वंचित करो मित्र संरक्षण के अधिकार से,
प्रतिभाओं को मत काटो आरक्षण की तलवार से।।
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सरकार से अनुराध है की जातीय आरक्षण हटा कर केवल फ़ौज में काम करने वाले, पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने वाले, होमगार्ड तथा खेती और संबधित कार्य करने वालोको आरक्षण दे। आरक्षण भी केवल शिक्षा मिलने तकही सीमीत रहे और शिक्षा पुरी होने के बाद अपने बलबूते और होशियारीके सहरेही नौकरिया मिलनी चाहिए ।
पोस्ट से सहमत हो तो शेयर करिये अन्यथा जैसा चल रहा है चलने दीजिये ।
हम सब भारत भूमि की संतान है और हम सब में प्रतिभा भरी पड़ी है। जात पात के बल पर आरक्षण करके हम अपने आप में एक अनचाही नफरत की रेखा खीच रहे हैं। अगर यही आरक्षण कर्म के बल पर रहेगा तो सबके साथ न्याय होंगा।
अगर किसीको इस पोस्ट में लिखी बातसे तकलीफ हुई होंगी तो कृपया क्षमा करिये। धन्यवाद।
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