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Saturday 1 October 2016

भाद्रपद की शुक्ल तृतीया - हरितालिका

भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र होता है | इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है | इस व्रत को कुमारी तथा सौभाग्यवती स्त्रियाँ ही करती है | इस व्रत को करनेवाली स्त्रियाँ पार्वती के समान सुखपूर्वक पतिरमण करके स्वर्ग को जाती है |
इस दिन स्त्रियाँ को निराहार रहकर, शाम के समय स्नान करके तथा शुद्ध वस्त्र धारण कर पार्वती तथा शिव की मिट्टी के प्रतिमा बनाकर पूजन की समय पूजा करनी चाहिए | इस दिन घर पर ही सुबह, दोपहर और शाम की पूजा करनी चाहिए | शाम को स्नान कर के विशेष पूजा के बाद व्रत खोला जाता है |

सुहाग की पिटारी में सुहाग की साडी वस्तुएँ रखकर पार्वती को चढ़ानी चाहिए तथा शिवजी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है | पूजा के बाद यह सुहाग समग्री किसी ब्राम्हणी तथा धोती और अंगोछा ब्राम्हण को देकर तेरह प्रकार के मीठे व्यंजन सजाकर रुपयों सहित अपनी सास को देकर आशीर्वाद प्राप्त करें | इस प्रकार शिव-पार्वती का पूजन करने के बाद कथा सुननी चाहिए | इस तरह व्रत करने से स्त्रियों की सौभाग्य प्राप्त होता है |


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