यक्ष– जीवन का उद्देश्य क्या है?
युधिष्ठिर – जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है।
यक्ष– जन्म का कारण क्या है? युधिष्ठिर – अतृप्त वासनाएं, कामनाएं और कर्म फल ये ही जन्म का कारण हैं।
यक्ष– जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है? युधिष्ठिर – जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है।
यक्ष– वासना और जन्म का सम्बन्ध क्या है?
युधिष्ठिर – जैसी वासनाएं वैसा जन्म। यदि वासनाएं पशु जैसी तो पशु योनि में जन्म। यदि वासनाएं मनुष्य जैसी तो मनुष्य योनि में जन्म।
यक्ष– संसार में दुःख क्यों है?
युधिष्ठिर – लालच, स्वार्थ, भय संसार के दुःख का कारण हैं।
यक्ष– तो फिर ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की?
युधिष्ठिर – ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की।
यक्ष– क्या ईश्वर है? कौन है वह? क्या रुप है उसका? क्या वह स्त्री है या पुरुष? युधिष्ठिर – हे यक्ष! कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो इसलिए वह भी है उस महान कारण को ही आध्यात्म में ईश्वर कहा गया है। वह न स्त्री है न पुरुष।
यक्ष– उसका स्वरूप क्या है?
युधिष्ठिर – वह सत्-चित्-आनन्द है, वह अनाकार ही सभी रूपों में अपने आप को स्वयं को व्यक्त करता हैं
यक्ष– वह अनाकार स्वयं करता क्या है?
युधिष्ठिर – वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है।
यक्ष– यदि ईश्वर ने संसार की रचना की तो फिर ईश्वर की रचना किसने की?
युधिष्ठिर – वह अजन्मा अमृत और अकारण हैं
यक्ष– भाग्य क्या है?
युधिष्ठिर – हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है। आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।
यक्ष– सुख और शान्ति का रहस्य क्या है?
युधिष्ठिर – सत्य, सदाचार, प्रेम और क्षमा सुख का कारण हैं। असत्य, अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शान्ति का मार्ग है।
युधिष्ठिर – इच्छाएं, कामनाएं चित्त में उद्वेग उतपन्न करती हैं। इच्छाओं पर विजय चित्त पर विजय है।
यक्ष– सच्चा प्रेम क्या है?
युधिष्ठिर – स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है। स्वयं को सर्वव्याप्त देखना सच्चा प्रेम है। स्वयं को सभी के साथ एक देखना सच्चा प्रेम है।
यक्ष– तो फिर मनुष्य सभी से प्रेम क्यों नहीं करता? युधिष्ठिर – जो स्वयं को सभी में नहीं देख सकता वह सभी से प्रेम नहीं कर सकता।
यक्ष– आसक्ति क्या है?
युधिष्ठिर – प्रेम में मांग, अपेक्षा, अधिकार आसक्ति है।
यक्ष– बुद्धिमान कौन है?
युधिष्ठिर – जिसके पास विवेक है।
युधिष्ठिर – आसक्ति।
यक्ष– चोर कौन है?
युधिष्ठिर – इन्द्रियों के आकर्षण, जो इन्द्रियों को हर लेते हैं चोर हैं।
यक्ष– जागते हुए भी कौन सोया हुआ है?
युधिष्ठिर – जो आत्मा को नहीं जानता वह जागते हुए भी सोया है।
यक्ष– कमल के पत्ते में पड़े जल की तरह अस्थायी क्या है?
युधिष्ठिर – यौवन, धन और जीवन।
यक्ष– नरक क्या है?
युधिष्ठिर – अनासक्ति ही मुक्ति है।
यक्ष– दुर्भाग्य का कारण क्या है?
युधिष्ठिर – सत्संग और सबके प्रति मैत्री भाव।
यक्ष– सारे दुःखों का नाश कौन कर सकता है?
युधिष्ठिर – जो सब छोड़ने को तैयार हो।
यक्ष– मृत्यु पर्यंत यातना कौन देता है?
युधिष्ठिर – गुप्त रूप से किया गया अपराध।
यक्ष– दिन-रात किस बात का विचार करना चाहिए?
युधिष्ठिर – सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता का।
यक्ष– संसार को कौन जीतता है?
युधिष्ठिर – जिसमें सत्य और श्रद्धा है।
यक्ष– भय से मुक्ति कैसे संभव है? युधिष्ठिर – वैराग्य से।
यक्ष– मुक्त कौन है?
युधिष्ठिर – जो अज्ञान से परे है।
यक्ष– अज्ञान क्या है?
युधिष्ठिर – आत्मज्ञान का अभाव अज्ञान है।
यक्ष– दुःखों से मुक्त कौन है?
युधिष्ठिर – जो कभी क्रोध नहीं करता।
यक्ष– वह क्या है जो अस्तित्व में है और नहीं भी? युधिष्ठिर – माया।
यक्ष– माया क्या है?
युधिष्ठिर – नाम और रूपधारी नाशवान जगत।
यक्ष ने प्रश्न किया – मनुष्य का साथ कौन देता है? युधिष्ठिर ने कहा – धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है.
यक्ष– यश लाभ का एक मात्र उपाय क्या है?
यक्ष– हवा से तेज कौन चलता है? युधिष्ठिर – मन.
यक्ष– विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है? युधिष्ठिर – विद्या.
यक्ष– किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता है?
युधिष्ठिर – अहम्भाव से उत्पन्न गर्व के छूट जाने पर.
यक्ष– किस चीज़ के खो जानेपर दुःख नहीं होता?
यक्ष– किस चीज़ को गंवाकर मनुष्य धनी बनता है? युधिष्ठिर – लोभ.
यक्ष– ब्राम्हण होना किस बात पर निर्भर है? जन्म पर, विद्या पर, या शीतल स्वभाव पर?
युधिष्ठिर – शीतल स्वभाव पर.
यक्ष– कौन सा एक मात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है? युधिष्ठिर – अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है.
यक्ष– सर्वोत्तम लाभ क्या है?
यक्ष– धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है?
यक्ष– कैसे व्यक्ति के साथ की गयी मित्रता पुरानी नहीं पड़ती?
युधिष्ठिर – सज्जनों के साथ की गयी मित्रता कभी पुरानी नहीं पड़ती.
यक्ष– इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
युधिष्ठिर – रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं फिर भी सभी को अनंतकाल तक जीते रहने की इच्छा होती है. इससे बड़ा आश्चर्य और क्या हो सकताहै? =============================================================
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