क़ामर जहाँ अतीव सुन्दरी थी और उसने ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं । उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है जो जिसके दोनों ही हाथ नहीं है। महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई !
क़ामर जहाँ ने
एयरहोस्टेस को कहा कि वह उसके लिए नियत सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पायेगी, क्योंकि
साथ की सीट पर एक दोनों हाथ विहीन व्यक्ति बैठा हुआ है | उस
सुन्दरी ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया |
असहज हुई
एयरहोस्टेस ने पूछा, मैम क्या मुझे कारण बता सकती है?
'सुंदर' क़ामर जहाँ जवाब दिया: मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा
नहीं कर पाउंगी ।
दिखने में सभ्रांत और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला के यह उद्गार सुनकर एयर हॉस्टेज़ अचंभित हो गई । सुन्दरी क़ामर जहाँ ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती और मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए ।
एयरहोस्टेस ने
खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई
भी सीट खाली नहीं दिखी।
एयरहोस्टेस ने
महिला से कहा कि मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट रिक्त नहीं है, किन्तु
यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है, अतः मैं
वायुयान के कप्तान से बात करती हूँ, कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें । ऐसा
कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई |
कुछ समय बाद उसने
लौट कर महिला को बताया,मोहतरमा ! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए
बहुत खेद है |
इस
पूरे विमान में,
केवल
एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक
असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का
कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है ।
'सुंदर' महिला
अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया
व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती
एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता
पूर्वक उनसे पूछा सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे ? क्योंकि
हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा करने की त्रासदी भुगतें ।
यह सुनकर प्रत्येक यात्री ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अतीव सुन्दरी क़ामर जहाँ महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।
तब उस अपाहिज
व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ और
मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये
थे । सबसे पहले,
जब
मैंने इन मोहतरमा जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था: मैंने भी किन
लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये ? लेकिन जब
आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने
देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये । और इतना कह कर, वह प्रथम
श्रेणी में चले गए।
'सुंदर' महिला क़ामर जहाँ पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट में गढ़ गई।
उस अतीव सौंदर्य का भी कोई मूल्य नहीं अगर विचारों में उदारता न हो।
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