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Sunday 20 June 2021

सुविचार संग्रह

जय श्री राम सखियों और सखाओं। सुविचार संग्रह में आपका स्वागत है।  



१....

तेजस्विता मन को विश्राम मुद्रा में रखती है और तन को सक्रीय रखती है|

२.... 

जिंदगी चट्टान की तरह ठोस नहीं, पानी की तरह तरल है|

३.... 

ज्यादातर पेड़ तानकर खड़ा होता है, सुकोमल लता उससे लिपटी रहती है, और जब आंधी आये तो लता उससे और भी जकड़कर लिपट जाती है|

४.... 

कम संग्रह करे पर जो हो वह महत्वपूर्ण हो|

५.... 

जितना हम असली फकीर को ढूंढेंगे, उतना ही हमारे अंदर अपग्रह का भाव मजबूत होगा और हम अशांति से दूर रहेंगे|

६.... 

अनचाहे काम करने वाले को भगवान की कृपा इसलिए समझ नहीं आती क्युकी उसके आत्मा में भगवान द्वारा की गई भलाई का भान नहीं होता|

७....  

अशांति समय, उर्जा और सम्बन्ध तीनो को नष्ट करती है तथा शांति इन तीनो को मजबूत करती हैं क्युकी प्रकृति का मूल स्वाभाव ही शांत रहना है|

८.... 

सत्संग करते करते विचार जागेगा, मन में करुणा जागेगी| सत्संग आपको दुनिया में रहते रहते उलझने नहीं देगा| साधक को जब भी, जिस क्षण भी परमात्मा के प्रति भावोदय होगा जीवन धन्य हो जायेगा| यह क्षण तभी उपस्थित होता है जब आपका मन संवेदनशील होगा|

                        - शंकराचार्य

९... 
प्रयत्न देवता की तरह होता है, जबकि भाग्य दैत्य की भाती| ऐसे में प्रयत्न देवता की उपासना करना ही श्रेष्ठ काम हैं|

१०.... 

तेजस्विता आयु में नहीं, वृत्ति और स्वाभाव होती है|

                        - रविशंकरजि रावतपूरा सरकार

अन्ततक पढ़ने के लिए धन्यवाद। कृपया  ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। 

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