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Monday 5 April 2021

'बहुत चंचल होती हैं मन कीआकांक्षाएं

एक कवि महोदय थे, जिनका नाम था बैरन। उन्हें जहां कहीं  सुंदर नारी दिखती, वे लोलुप निगाहों से उसे घूरने लगते। एक बार की बात है, बैरन एक सुंदर लड़की का बहुत दिनों से पीछा कर रहे थे। उनकी हरकतें कुछ इस प्रकार की थीं कि वह लड़की परेशान हो गई। फिर वह लड़की इन परेशानियों से निजात पाने के लिए बैरन से शादी करने को तैयार हो गई। लेकिन एक शर्त रखी कि इन हरकतों की पुनरावृत्ति मत करना। बैरन ने कहा, मैंने इतने सारे यत्न तुम्हें पाने के लिए किए थे, अब जब मैं तुम्हें पा चुका हूं तो फिर मेरे पास और कोई आशा शेष नहीं बची। . दोनों चर्च गए और पादरी के समक्ष विवाह कर लिया। जिस समय वे शादी करके चर्च की सीढ़ियां उतर रहे थे, उसी समय एक दूसरी सुंदर-सी लड़की चर्च के अंदर जा रही थी। बैरन अपनी नई नवेली पत्नी का हाथ छोड़कर तुरंत उस नई लड़की की ओर मुखातिब हो गए। उनकी पत्नी ने बैरन को उनकी शपथ की याद दिलाई। बैरन ने जवाब दिया - देखो प्रेयसी, यह तो तुम जानती ही हो कि मनुष्य ष्य का मन बहुत ही चंचल होता है। उसे जो नहीं मिला रहता है उसके लिए बड़ी आशा लगी रहती है। इंतजार और पीछा करने में जो आनंद था, उसकी सफलता यह रही कि . तुम मुझे प्राप्त हो गईं। अब मैं इस ओर से निश्चिंत हो गया, . क्योंकि तुम अब मेरी हो चुकी हो। कथा का निहितार्थ यह है कि जो वस्तु हमें मिल जाती है, उसकी ओर से हम निश्चिंत हो जाते हैं और जो चीज पहुंच से दूर रहती है, उसे पाना चाहते हैं.  



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