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Thursday 8 April 2021

धर्म का सही स्वरूप बताया काका कालेलकर ने

  एक बार काका साहब कालेलकर अपने कुछ मित्रों के साथ ... बैठे थे। समय अंगरेजों की पराधीनता से मुक्त होने-के बाद का था। राष्ट्र की दुर्दशा के ज्वलंत प्रश्न पर सभी के मध्य विचार-मंथन हो रहा था। हिंदू-मुस्लिम दंगों पर सभी चिंतित थे और सोच रहे थे कि समस्या का कैसे समाधान हो? तभी कहां काका कालेलकर का छोटा पुत्र आया और उनसे बोला - पिताजी, . ये मुसलमान लोग प्रतिदिन हिंदुओं को मार देते हैं। मुझे इन पर बड़ा गुस्सा आता है। क्यों न हम मिलकर इन्हें मार दें? बच्चे की बात सुनकर काका ने उसका समाधान करने के लिए पूछा - ठीक - है, लेकिन हम शुरुआत कहां से करें? चलो, इमाम से ही शुरू करते: हैं। यह सुनते ही बच्चां बोला - नहीं पिताजी, वह तो हमारे बुजुर्ग हैं। भला उन्हें क्यों मारा जाए? तब काका ने कहा - अच्छा चलो फिर अमीना को मार देते हैं? यह सुनकर बच्चा चिंतित होकर बोला - नहीं, नहीं अमीना दींदी को कोई नहीं मार सकता। वह तो मेरी बहन जैसी है। काका ने अब कहा - अच्छा फिर पड़ोसी हमीद “ की हत्या कर दी जाए। बच्चा चिल्ला पड़ा - हमीद मेरा दोस्त है। मैं हमीद की हत्या नहीं होने दूंगा। तब काका उसे समझते हर . बोले - बेटा, मुसलमान भी हमारे भाई हैं। जो लोग हिंसा करते हैं, ' बे न हिंदू हैं और न मुसलमान। वे तो गुंडे हैं और गुंडों का कोई  धर्म नहीं होता। जिस तरह तुम मुस्लिम भाई-बहनों की हत्या सहन नहीं कर सकते, उसी तरह कई मुस्लिम हैं जो हिंदुओं की हत्या * सहन नहीं कर सकते। अतः हमें सभी धर्मों कां आदर करना चाहिए। 



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