गुरूर है मुझे मैं नारी हूँ
भगवान की संरचना में शामिल ।
एक ख़ूबसूरत फूल हूँ
सभी के आँगन में , शामिल ।
रख़ती हूँ सबका खयाल ,
न आए किसी पर आँच
सबको खुशियाँ बाँटना चाहती हूँ
जो कमल के समान ,
सबके आँगन में खिलती हूँ ।
मैं कोई काँटा नहीं ,
जो किसी को चोट लगा दूँ ।
मैं कोई विष नहीं ,
जो नफ़रत फैला दूँ ।
मैं तो बस इस संसार का ,
ख़ूबसूरत फूल हूँ ,
जो इस संसार को ,
आनंदित करना चाहती हूँ ।
गुरूर है मुझे कि मैं नारी हूँ ।
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