बात वर्ष १९२२ की है. महात्मा गाँधीजी अपने यात्रा के दौरान हैदराबाद स्टेशन से गुजरने वाले थे खबर मिलते ही सब लोगो की भीड़ जमा हो गई सब लोगो क मन में गांधीजी से बात करने की इच्छा थी गाड़ी के प्लेटफार्म पे गांधीजी जैसे ही आये सब लोग पूरी जनता उनके डिब्बे के तरफ दौड़ी गन्दीजी यह स्तिथि देखकर खुद दरवाजे पर आ गए और जनता का अभिवेदन स्वीकार किया फिर गाँधी जी ने शांत होकर अपनी समस्याओ को शांत रहकर अपनी समस्याओ को कहने को कहा साभुई की समस्याओ का सर था निजाम और अंग्रेजो का जुल्म यह सुनकर ताश के पत्तो की एक गड्डी मांगी गड्डी आने पर उन्होंने उसमेसे एक पत्ता निकला यह है हुकुम का नौकर अर्थात भारत की जनता फिर एकोर पत्ता निकलकर कहा यह है हुकुम की बेगम फिर तीसरा पत्ता दिखाकर बोला यह है बादशाह यानि अंग्रेज बेगम का कायदा भी यही है. और अब ये देखी ये है इक्का गुलाम और इक्का को दुश्मन समझ कर उन्हें बांध दिया.
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