जिंदगी बहुत छोटी है। हमारे पास इतना वक्त नहीं है कि हम जरूरी शब्दों को अनकहा ही छोड़ दें।
इच्छाएं दुख का कारण है लेकिन कुछ इच्छाएं अच्छी भी होती है। जैसे खुशी की इच्छा शांति की कामना एक बेहतर और मैत्रीपूर्ण संसार की गहरी अभिलाषा। दलाई लामा
पैर फिसलने के बावजूद फिर से संतुलन बनाया जा सकता है लेकिन जुबान फिसलने के बाद फिर दूसरा मौका नहीं मिल सकता।
हमें अपनी निराशा ओं का भी मजा लेना चाहिए लेकिन उन्हें महिमामंडित करना तो यकीनन नुकसान देह है।
किसी भी बहस के एक या दो नहीं बल्कि 3 पहलू होते हैं आपका पहलू मेरा पहलू और सही पहलू। अनुपम खेर
अपने ही साथ प्रतिस्पर्धा करने से और बेहतर व्यक्ति बनते हैं जबकि दूसरों से स्पर्धा रखने पर हमारा जीवन कड़वाहट से भर जाता हैं। शिरीष कुंदर
हमारे कार्य और महत्वाकांक्षाओं के बीच के फैसले का नाम ही निराशा है जब हम इस फैसले को पार कर देते हैं तभी सफल होते हैं।
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