सौहार्दता को सुरक्षित रखने के लिए मैत्रीपूर्ण रहने की एक सर्वश्रेष्ठ मूल रिती है अपनी जुबान पर काबू अपनी बोली पर संयम अपने कहे पर लगाम। सम्राट अशोक
सुबह संभालो भड़काने वाली बातें ना करो अयोग्य काम ना करो अपुण्य से बचो। सम्राट अशोक
जीवन हमारे सामने उसी रूप से प्रस्तुत होता है जैसी हमारी सोच। भारती पंडित
मदद चाहे छोटी हो या बड़ी सामने वाले को धन्यवाद देना न भूले। भारती पंडित
प्राथमिकता खुद ही तय करनी होती है। अगर आपको प्राथमिकताओं का पता होगा तो लक्ष्य स्पष्ट होगा और रहा भी आसान हो जाएगी। भारती पंडित
दूसरों की मदद करने के लिए भी तैयार रहें। दो सांत्वना भरे बोल तीव्र मदद आपको ईश्वर से साक्षात्कार करा सकती है। भारती पंडित
सकारात्मक सोच जीवन को नई दिशा देती है वही नकारात्मक पहलू लड़ाई से पहले ही हारने पर मजबूर कर देते हैं। भारती पंडित
जो कहा गया उसे बुद्धि के स्तर पर समझो और फिर अनुभूति के स्तर पर जानो तब स्वीकार करो। बिना जाने बिना समझे बिना अनुभव किए अंधेपन से स्वीकार मत करो। सत्यनारायण गोयंका
अपने मन को महिला करने की शत-प्रतिशत जिम्मेदारी स्वयं अपनी है। कोई भाई या अदृश्य शक्ति इसे क्यों महिला करती भला? अतः इसे सुधारने का दायित्व भी अपना ही है। सत्यनारायण गोयंका
कदम कदम चलना तो स्वयं हमें ही पड़ेगा। कोई अन्य हमें कंधे पर उठाकर मुक्त अवस्था तक पहुंचा देगा यह धोखा है। सत्यनारायण गोयंका
जब इंसान को इस बात की समझ हो जाती है कि लेने से ज्यादा संतोष देने में है समेटने से ज्यादा संतोष बांटने में है तो उसकी सारी मुसीबतें सारे तनाव दूर हो जाते हैं। इस स्थिति में इंसान रहा में आने वाली समस्याओं का डटकर सामना करने लगता है।
No comments:
Post a Comment