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Thursday 31 December 2020

धन्यवाद लॉकडाउन !

 

यह 2020 का लाकडाउन जिंदगी को एक सीख देकर जा रहा है

धन्यवाद लॉकडाउन !

माना कि  सभी की अर्थव्यवस्था थोड़ी जरूर बिगड़ी लेकिन सुधार इतना हुआ जो देश चाहकर भी नही कर पा रहा था।

 

01  हजारों बाल विवाह पर लगा ब्रेक !!

02  युवा पीढी में बढती हुई नशे की लत को छोड़ने की मजबूरियां देखने को मिली !!

03  मृत्युभोज पर हुआ अनावश्यक खर्च बन्द !!

04  लाखों रुपयों की शादी हुई हजारों में!!

05  रिश्वतखोरों की घूस को मिली धांस !!

06  इंसानों की असलियत आई सामने !!

07  मेडिकल का अनावश्यक खर्च हुआ बन्द !!

08  घरवालों के साथ बिताया पूरा समय👌👌!!

09 बड़े बड़े पैसे वाले लोगों को पता चल गया है कि इंसानों को अतिआवशक रोजमर्रा के लिए क्या क्या सामग्री जरूरी होती है!!

10 बेफालतू के खर्चो पर अंकुश लगाने में कारगर सिद्ध हुआ है !!

11 गांवों की महत्ता,किसान लोगों को ज्यादा से ज्यादा खेती करने के लिए प्रोत्साहित  करने में अहम भूमिका निभाने वाला !!

12 धैर्यवान,आपसी तालमेल,संतोषपूर्वक जिंदगी जीने के लिये प्रेरणा देने वाला !!

13 प्रकृति का वातावरण शुद्धता के लिये कारगार सिद्ध हुआ !!

14 पैसा ही जिंदगी के लिए सब कुछ मानने वाले को भी अहसास हुआ!!

15  नॉनवेज खाने में आई भारी कमी

16  प्रदूषण में भारी कमी आई इसलिए सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहा

17 इंसान पिंजरे में रहा पशु पक्षी खुले आजाद मे घूमते रहे इसलिए हे इंसान अच्छे कर्म करते जा,जो बोया है वही काटना है



 

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The rainy start - Krutika Kanphade

rain
Image credit: economictimes.indiatimes.com


On the eve of 31st night
The stars failed to make the sky bright
All the enthusiasm and celebration
Melted the long lovely decoration 
At 1:00 am of 1st Jan
The rain poured from the clouds of the clan
Though for a moment spirits Were high 
All felt drowsy on seeing the morning sigh
What's low start the very first Day gave
With no sun shine smiling on Hay
The made way for Chandrapur to kalmeshwar
Making Nagpur shiver more than Mahabeleshwar
The sun I guess is on a holiday leave
Making life on Earth completely freeze
No marks of sun seen for the first four days
I predict weather same would continue till May not comes
The  cold clubbed with rains and fog 
Made ift difficult to jog
The new year brought along with it 
Destruction of  crops about to real
I surmise the nature's not happy at all
And punishing us for all  our faults
All the human activities which led to Wrong 
Now its our turn to face it for long
I wish Had we not exploited the Earth so much
We would have been enjoying right from birth
But now we all are fed up with this boring weather
Hope positive rays reach earthwith widespread feathers ...  





Wednesday 30 December 2020

सुविचार संग्रह

मनुष्य की कामनाओं का अंतर नहीं है लेकिन जीवन का अंत है इसीलिए मनुष्य को हर पल सतर्क रहना चाहिए। माखनलाल चतुर्वेदी
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दुर्बल और अज्ञानी लोग ही आमतौर पर सबसे अधिक नुक्ताचीनी करते हैं। स्वामी रामतीर्थ
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त्याग का अर्थ यह नहीं होता कि हम कोई चीज छोड़ दे। क्या का अर्थ है हम वह चीज छोड़ें जो हमें प्रिय है। जिमी हेंड्रिक्स
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चित्त की एकाग्रता और धीरज रखने वाला ही विजेता बनता है। मनोबल बढ़ाने के दो प्रमुख अस्त्र है योग तथा संगीत।
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जो लोग पढ़ते नहीं वह उनसे कतई बेहतर स्थिति में नहीं कहे जा सकते जो पढ़ ही नहीं सकते। मार्क टवेन
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प्रेम का प्रभाव और अनुभूति अद्भुत होती है। प्रेम का स्पर्श पाने से ही सभी कवि बन जाते हैं। प्लेटो
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साख बनाने में बरसों लगते हैं और इसे गवाने में बस चंद मिनट। अगर आप इस बारे में भी सोचेंगे तो चीजें अलग तरह से करेंगे। वारेन बुफेट
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साहित्य हमेशा उन गुप्त व अज्ञात औरतों की तलाश करता है जो ज्ञात अर्थ की मूल्य स्थिति को बदल देते हैं। इतालो कालवी नो
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पराजय के क्षणों में ही नायको का निर्माण होता है। असफलता का सही अर्थ महान और सफलताओं की श्रंखला है। महात्मा गांधी
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हितकर किंतु अप्रिय वचन को कहने और सुनने वाले दोनों दुर्लभ होते हैं। वेदव्यास
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मनुष्य आश्चर्य पर मुग्ध होते हैं और यही हमारे संपूर्ण विज्ञान का मूल आधार है। इमर्शन
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वृद्धावस्था की झुरिया अपने ह्रदय पर मत पडने दो यानी आत्मा को वृद्ध मत होने दो। जेम्स गार फील्ड
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मनुष्य का कर्म करने पर अधिकार है लेकिन उसका फल प्राप्त करने पर अधिकार नहीं है। गीता
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Tuesday 29 December 2020

December Current Affairs part 14

 Hello friends in this article you are going to read current affairs which can help you in competitive exams.


1. New Bhaupur-New Khurja section of EDFC 


•PM Narendra Modi will inaugurate the New Bhaupur-New Khurja section of Eastern Dedicated Freight Corridor, EDFC on 29 December 2020, 

•The 351-kilometer section of EDFC is situated in Uttar Pradesh and is built at a cost of Rs. 5,750 crore. 

•The section will decongest the existing Kanpur-Delhi mainline and will enable Indian Railways to run faster trains. 

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2. Jawhar earns tag of mini-Mahabaleshwar 


• In Maharashtra, the tribal area of Jawhar has earned the tag of being called as mini-Mahabaleshwar. 

•Strawberry is mainly grown in Mahabaleshwar, a famous hill station in the state. 

•On an experimental basis, about 86 farmers in Jawhar and Mokhada talukas have planted strawberries on 11 acres of land drawing huge profit. 

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3. Mhaismal village gets tap water for 1st time 


•For the first time after independence, tap water came to Mhaismal village of Nashik district in Maharashtra a few days ago. 

•Mhaismal village in Surgana taluka of Nashik district had been severely affected by water scarcity for decades. 

•It was part of a regular routine for the women from this village to roam for miles to fetch water for household use.

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4. UP govt to constitute Prantiya Rakshak Dal 


•UP govt has decided to constitute companies of Prantiya Rakshak Dal (PRD) in urban areas also. 

•Till now the companies were only getting volunteers from the rural areas. Women volunteers will get special preference in PRD, Established through an act in 1948, PRD works as an alternate security force. 

•First time after 71 years of its formation the urban company of PRD is being constituted. 

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December Current Affairs part 13

 Hello friends in this article you are going to read current affairs which can help you in competitive exams.


1. International  Human Solidarity day

• International Human Solidarity Day is observed annually on December 20 by the UN General Assembly. 

•The General Assembly, on December 22, 2005, by resolution 60/209 recognized solidarity as one of the fundamental and universal values in the twenty-first century. 

•Therefore, proclaimed December 20 of each year as International Human Solidarity Day. 

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2. Minorities Right day

•The Minorities Rights Day is observed in India every year on December 18. 

•This day is observed to protect the rights of minority communities, as a contribution to nation-building, to ensure the security of minorities in their particular language, caste, religion, culture, tradition, etc. 

•The Minorities Rights Day in India was first observed on December 18, 2013. 

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3. Vedic Paint to be launched

•The Union Minister of Micro, Small and Medium Enterprises Nitin Gadkari introduced the soon-to-be-launched Vedic Paint’ made of cow dung. 

•To boost the rural economy and generate an additional income for farmers, Vedic Paint will be launched through the Khadi and Village Industries Commission. 

•It will come in distemper and emulsion forms and will dry in just four hours. 

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Monday 28 December 2020

सुविचार संग्रह

अक्सर हम स्वर्ग की कल्पना बचपन के लैंडस्केप की तरह करते हैं और जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं वैसे वैसे अपने गुजरे हुए बचपन को स्वर्ग में बिताए समय की तरह याद करने लगते हैं।


सौहार्दता को सुरक्षित रखने के लिए मैत्रीपूर्ण रहने की एक सर्वश्रेष्ठ मूल रिती है अपनी जुबान पर काबू अपनी बोली पर संयम अपने कहे पर लगाम। सम्राट अशोक



सुबह संभालो भड़काने वाली बातें ना करो अयोग्य काम ना करो अपुण्य से बचो। सम्राट अशोक




जीवन हमारे सामने उसी रूप से प्रस्तुत होता है जैसी हमारी सोच। भारती पंडित



मदद चाहे छोटी हो या बड़ी सामने वाले को धन्यवाद देना न भूले। भारती पंडित



प्राथमिकता खुद ही तय करनी होती है। अगर आपको प्राथमिकताओं का पता होगा तो लक्ष्य स्पष्ट होगा और रहा भी आसान हो जाएगी। भारती पंडित



दूसरों की मदद करने के लिए भी तैयार रहें। दो सांत्वना भरे बोल तीव्र मदद आपको ईश्वर से साक्षात्कार करा सकती है। भारती पंडित



सकारात्मक सोच जीवन को नई दिशा देती है वही नकारात्मक पहलू लड़ाई से पहले ही हारने पर मजबूर कर देते हैं। भारती पंडित



जो कहा गया उसे बुद्धि के स्तर पर समझो और फिर अनुभूति के स्तर पर जानो तब स्वीकार करो। बिना जाने बिना समझे बिना अनुभव किए अंधेपन से स्वीकार मत करो। सत्यनारायण गोयंका



अपने मन को महिला करने की शत-प्रतिशत जिम्मेदारी स्वयं अपनी है। कोई भाई या अदृश्य शक्ति इसे क्यों महिला करती भला? अतः इसे सुधारने का दायित्व भी अपना ही है। सत्यनारायण गोयंका



कदम कदम चलना तो स्वयं हमें ही पड़ेगा। कोई अन्य हमें कंधे पर उठाकर मुक्त अवस्था तक पहुंचा देगा यह धोखा है। सत्यनारायण गोयंका




जब इंसान को इस बात की समझ हो जाती है कि लेने से ज्यादा संतोष देने में है समेटने से ज्यादा संतोष बांटने में है तो उसकी सारी मुसीबतें सारे तनाव दूर हो जाते हैं। इस स्थिति में इंसान रहा में आने वाली समस्याओं का डटकर सामना करने लगता है।


Saturday 26 December 2020

गिलोय बेल

 

Image Credit: 

गिलोय बेल गरीब के घर की डॉक्टर है जो 70 रोगों को जड़ से मिटाती है, ये आसानी से गाँव मे मिल जाती है

गिलोय एक प्रकार की लता/बेल है, जिसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते है। यह इतनी अधिक गुणकारी होती है, कि इसका नाम अमृता रखा गया है। आयुर्वेद में गिलोय को बुखार की एक महान औषधि के रूप में माना गया है। गिलोय का रस पीने से शरीर में पाए जाने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ दूर होने लगती हैं। गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन तथा फास्फोरस पाए जाते है। यह वात, कफ और पित्त नाशक होती है। यह हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति को बढाने में सहायता करती है। इसमें विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक तथा एंटीवायरल तत्व पाए जाते है जिनसे शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ पहुँचता है। यह गरीब के घर की डॉक्टर है क्योंकि यह गाँवो में सहजता से मिल जाती है। गिलोय में प्राकृतिक रूप से शरीर के दोषों को संतुलित करने की क्षमता पाई जाती है।

गिलोय एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जडीबूटी है। गिलोय बहुत शीघ्रता से फलने फूलनेवाली बेल होती है। गिलोय की टहनियों को भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय की बेल जीवन शक्ति से भरपूर होती है, क्योंकि इस बेल का यदि एक छोटा-सा टुकडा भी जमीन में डाल दिया गया तो वहाँ पर एक नया पौधा बन जाता है। गिलोय की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर यह पता चला है कि इसमें गिलोइन नामक कड़वा ग्लूकोसाइड, वसा अल्कोहल ग्लिस्टेराल, बर्बेरिन एल्केलाइड, अनेक प्रकार की वसा अम्ल एवं उड़नशील तेल पाये जाते हैं।

पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च भी मिलता है। कई प्रकार के परीक्षणों से ज्ञात हुआ की वायरस पर गिलोय का प्राणघातक असर होता है। इसमें सोडियम सेलिसिलेट होने के कारण से अधिक मात्रा में दर्द निवारक गुण पाये जाते हैं। यह क्षय रोग के जीवाणुओं की वृद्धि को रोकती है। यह इन्सुलिन की उत्पत्ति को बढ़ाकर ग्लूकोज का पाचन करना तथा रोग के संक्रमणों को रोकने का कार्य करती है।

आइये हम गिलोय से होने वाले शारीरिक फायदे की ओर देखें :

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है गिलोय में हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण पाए जाते है। गिलोय में एंटीऑक्सीडंट के विभिन्न गुण पाए जाते हैं, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है, तथा भिन्न प्रकार की खतरनाक बीमारियाँ दूर रखने में सहायता मिलती है। गिलोय हमारे लीवर तथा किडनी में पाए जाने वाले रासायनिक विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य भी करता है। गिलोय हमारे शरीर में होनेवाली बीमारीयों के कीटाणुओं से लड़कर लीवर तथा मूत्र संक्रमण जैसी समस्याओं से हमारे शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है।

ज्वर से लड़ने के लिए उत्तम औषधी गिलोय की वजह से लंबे समय तक चलने वाले बुखार को ठीक होने में काफी लाभ होता है। गिलोय में ज्वर से लड़ने वाले गुण पाए जाते हैं। गिलोय हमारे शरीर में होने वाली जानलेवा बीमारियों के लक्षणों को उत्पन्न होने से रोकने में बहुत ही सहायक होता है। यह हमारे शरीर में रक्त के प्लेटलेट्स की मात्रा को बढ़ाता है जो कि किसी भी प्रकार के ज्वर से लड़ने में उपयोगी साबित होता है। डेंगु जैसे ज्वर में भी गिलोय का रस बहुत ही उपयोगी साबित होता है। यदि मलेरिया के इलाज के लिए गिलोय के रस तथा शहद को बराबर मात्रा में मरीज को दिया जाए तो बडी सफलता से मलेरिया का इलाज होने में काफी मदद मिलती है।

पाचन क्रिया करता है दुरुस्त गिलोय की वजह से शारीरिक पाचन क्रिया भी संयमित रहती है। विभिन्न प्रकार की पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में गिलोय बहुत ही प्रचलित है। हमारे पाचनतंत्र को सुनियमित बनाने के लिए यदि एक ग्राम गिलोय के पावडर को थोडे से आंवला पावडर के साथ नियमित रूप से लिया जाए तो काफी फायदा होता है।

बवासीर का भी इलाज है गिलोय बवासीर से पीडित मरीज को यदि थोडा सा गिलोय का रस छांछ के साथ मिलाकर देने से मरीज की तकलीफ कम होने लगती है।

डॉयबिटीज का उपचार अगर आपके शरीर में रक्त में पाए जाने वाली शुगर की मात्रा अधिक है तो गिलोय के रस को नियमित रूप से पीने से यह मात्रा भी कम होने लगती है।

उच्च रक्तचाप को करे नियंत्रित गिलोय हमारे शरीर के रक्तचाप को नियमित करता है।

अस्थमा का बेजोड़ इलाज अस्थमा एक प्रकार की अत्यंत ही खतरनाक बीमारी है, जिसकी वजह से मरीज को भिन्न प्रकार की तकलीफों का सामना करना पडता है, जैसे छाती में कसाव आना, साँस लेने में तकलीफ होना, अत्याधिक खांसी होना तथा सांसो का तेज तेज रूप से चलना। कभी कभी ऐसी परिस्थिती को काबू में लाना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते है, कि अस्थमा के उपर्युक्त लक्षणों को दूर करने का सबसे आसान उपाय है, गिलोय का प्रयोग करना। जी हाँ अक्सर अस्थमा के मरीजों की चिकित्सा के लिए गिलोय का प्रयोग बडे पैमाने पर किया जाता है, तथा इससे अस्थमा की समस्या से छुटकारा भी मिलने लगता है।

आंखों की रोशनी बढ़ाने हेतु गिलोय हमारी आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। यह हमारी आंखों की दृष्टी को बढाता है, जिसकी वजह से हमे बिना चश्मा पहने भी बेहतर रूप से दिखने लगता है। यदि गिलोय के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर यह पानी ठंडा होने पर आंखों की पलकों पर नियमित रूप से लगाने से काफी फायदा होता है।

सौंदर्यता के लिए भी है कारगार गिलोय का उपयोग करने से हमारे चेहरे पर से काले धब्बे, कील मुहांसे तथा लकीरें कम होने लगती हैं। चेहरे पर से झुर्रियाँ भी कम होने में काफी सहायता मिलती है। यह हमारी त्वचा को युवा बनाए रखने में मदद करता है। गिलोय से हमारी त्वचा का स्वास्थ्य सौंदर्य बना रहता है। तथा उस में एक प्रकार की चमक आने लगती है।

खून से जुड़ी समस्याओं को भी करता है दूर कई लोगों में खून की मात्रा की कमी पाई जाती है। जिसकी वजह से उन्हें शारीरिक कमजोरी महसूस होने लगती है। गिलोय का नियमित इस्तेमाल करने से शरीर में खून की मात्रा बढने लगती है, तथा गिलोय हमारे खून को भी साफ करने में बहुत ही लाभदायक है।

दांतों में पानी लगना: गिलोय और बबूल की फली समान मात्रा में मिलाकर पीस लें और सुबह-शाम नियमित रूप से इससे मंजन करें इससे आराम मिलेगा।

रक्तपित्त (खूनी पित्त): 10-10 ग्राम मुलेठी, गिलोय, और मुनक्का को लेकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े को 1 कप रोजाना 2-3 बार पीने से रक्तपित के रोग में लाभ मिलता है।

खुजली: हल्दी को गिलोय के पत्तों के रस के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर लगाने और 3 चम्मच गिलोय का रस और 1 चम्मच शहद को मिलाकर सुबह-शाम पीने से खुजली पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

मोटापा: नागरमोथा, हरड और गिलोय को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है। हरड़, बहेड़ा, गिलोय और आंवले के काढ़े में शुद्ध शिलाजीत पकाकर खाने से मोटापा वृद्धि रुक जाती है। 3 ग्राम गिलोय और 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता जाता है।

हिचकी: सोंठ का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर सूंघने से हिचकी आना बंद हो जाती है।

सभी प्रकार के बुखार: सोंठ, धनियां, गिलोय, चिरायता तथा मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना दिन में 3 बार 1-1 चम्मच की मात्रा में लेने से हर प्रकार के बुखार में आराम मिलता है।

कान का मैल साफ करने के लिए: गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके कान में 2-2 बूंद दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है और कान साफ हो जाता है।

कान में दर्द: गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

संग्रहणी (पेचिश): अती, सोंठ, मोथा और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को 20-30 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पीने से मन्दाग्नि (भूख का कम लगना), लगातार कब्ज की समस्या रहना तथा दस्त के साथ आंव आना आदि प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

कब्ज : गिलोय का चूर्ण 2 चम्मच की मात्रा गुड़ के साथ सेवन करें इससे कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

एसीडिटी: गिलोय के रस का सेवन करने से ऐसीडिटी से उत्पन्न अनेक रोग जैसे- पेचिश, पीलिया, मूत्रविकारों (पेशाब से सम्बंधित रोग) तथा नेत्र विकारों (आंखों के रोग) से छुटकारा मिल जाता है। गिलोय, नीम के पत्ते और कड़वे परवल के पत्तों को पीसकर शहद के साथ पीने से अम्लपित्त समाप्त हो जाती है।

खून की कमी (एनीमिया): गिलोय का रस शरीर में पहुंचकर खून को बढ़ाता है और जिसके फलस्वरूप शरीर में खून की कमी (एनीमिया) दूर हो जाती है।

हृदय की दुर्बलता : गिलोय के रस का सेवन करने से हृदय की निर्बलता (दिल की कमजोरी) दूर होती है। इस तरह हृदय (दिल) को शक्ति मिलने से विभिन्न प्रकार के हृदय संबन्धी रोग ठीक हो जाते हैं।

हृदय के दर्द: गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर इसमें से 3 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी से सेवन करने से हृदय के दर्द में लाभ मिलता है।

बवासीर, कुष्ठ और पीलिया: 7 से 14 मिलीलीटर गिलोय के तने का ताजा रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से बवासीर, कोढ़ और पीलिया का रोग ठीक हो जाता है।

बवासीर: मट्ठा (छाछ, तक्र) के साथ गिलोय का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में सुबह और शाम लेने से बवासीर में लाभ मिलता है। 20 ग्राम हरड़, गिलोय, धनिया को लेकर मिला लें तथा इसे 5 किलोग्राम पानी में पकाएं जब इसका चौथाई भाग बाकी रह तब इसमें गुड़ डालकर मिला दें और फिर इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे सभी प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती है।

मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): गिलोय का रस वृक्कों (गुर्दे) क्रिया को तेज करके पेशाब की मात्रा को बढ़ाकर इसकी रुकावट को दूर करता है। वात विकृति से उत्पन्न मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) रोग में भी गिलोय का रस लाभकारी है।

रक्तप्रदर: गिलोय के रस का सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत लाभ मिलता है।

चेहरे के दाग-धब्बे: गिलोय की बेल पर लगे फलों को पीसकर चेहरे पर मलने से चेहरे के मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।

सफेद दाग : सफेद दाग के रोग में 10 से 20 मिलीलीटर गिलोय के रस को रोजाना 2-3 बार कुछ महीनों तक सफेद दाग के स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।

पेट के रोग : 18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद और छोटी पीपल, 2 नीम की सींकों को पीसकर 250 मिलीलीटर पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में फूलने के लिए रात के समय रख दें तथा सुबह उसे छानकर रोगी को रोजाना 15 से 30 दिन तक पिलाने से पेट के सभी रोगों में आराम मिलता है।

जोड़ों के दर्द (गठिया) : गिलोय के 2-4 ग्राम का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।

वातज्वर: गम्भारी, बिल्व, अरणी, श्योनाक (सोनापाठा), तथा पाढ़ल इनके जड़ की छाल तथा गिलोय, आंवला, धनियां ये सभी बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसमें से 20-30 ग्राम काढ़े को दिन में 2 बार सेवन करने से वातज्वर ठीक हो जाता है।

शीतपित्त (खूनी पित्त): 10 से 20 ग्राम गिलोय के रस में बावची को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को खूनी पित्त के दानों पर लगाने तथा मालिश करने से शीतपित्त का रोग ठीक हो जाता है।

जीर्णज्वर (पुराने बुखार): जीर्ण ज्वर या 6 दिन से भी अधिक समय से चला रहा बुखार ठीक होने वाले बुखार की अवस्था में उपचार करने के लिए 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह से पीसकर, मिटटी के बर्तन में 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रात भर ढककर रख दें और सुबह के समय इसे मसलकर छानकर पी लें। इस रस को रोजाना दिन में 3 बार लगभग 20 ग्राम की मात्रा में पीने से लाभ मिलता है। 20 मिलीलीटर गिलोय के रस में 1 ग्राम पिप्पली तथा 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से जीर्णज्वर, कफ, प्लीहारोग (तिल्ली), खांसी और अरुचि (भोजन का अच्छा लगना) आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

वमन: गिलोय का रस और मिश्री को मिलाकर 2-2 चम्मच रोजाना 3 बार पीने से वमन (उल्टी) आना बंद हो जाती है। गिलोय का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।

पेचिश (संग्रहणी): 20 ग्राम पुनर्नवा, कटुकी, गिलोय, नीम की छाल, पटोलपत्र, सोंठ, दारुहल्दी, हरड़ आदि को 320 मिलीलीटर पानी में मिलाकर इसे उबाले जब यह 80 ग्राम बच जाए तो इस काढ़े को 20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पीने से पेचिश ठीक हो जाती है। 1 लीटर गिलोय रस का, तना 250 ग्राम इसके चूर्ण को 4 लीटर दूध और 1 किलोग्राम भैंस के घी में मिलाकर इसे हल्की आग पर पकाएं जब यह 1 किलोग्राम के बराबर बच जाए तब इसे छान लें। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा को 4 गुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेचिश रोग ठीक हो जाता है तथा इससे पीलिया एवं हलीमक रोग ठीक हो सकता है।

नेत्रविकार (आंखों की बीमारी): लगभग 11 ग्राम गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद और सेंधानमक मिलाकर, इसे खूब अच्छी तरह से गर्म करें और फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाने से आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इसके प्रयोग से पिल्ल, बवासीर, खुजली, लिंगनाश एवं शुक्ल तथा कृष्ण पटल आदि रोग भी ठीक हो जाते हैं। गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे पीपल के चूर्ण और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है तथा और भी आंखों से सम्बंधित कई प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।

क्षय (टीबी): गिलोय, कालीमिर्च, वंशलोचन, इलायची आदि को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। इसमें से 1-1 चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ कुछ हफ्तों तक रोजाना सेवन करने से क्षय रोग दूर हो जाता है। कालीमिर्च, गिलोय का बारीक चूर्ण, छोटी इलायची के दाने, असली वंशलोचन और भिलावा समान भाग कूट-पीसकर कपड़े से छान लें। इसमें से 130 मिलीग्राम की मात्रा मक्खन या मलाई में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से टीबी रोग ठीक हो जाता है।

वातरक्त: गिलोय के 5-10 मिलीमीटर रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम कल्क अथवा 40-60 ग्राम काढ़े को प्रतिदिन निरन्तर कुछ समय तक सेवन करने से रोगी वातरक्त से मुक्त हो जाता है।

खूनी कैंसर: रक्त कैंसर से पीड़ित रोगी को गिलोय के रस में जवाखार मिलाकर सेवन कराने से उसका रक्तकैंसर ठीक हो जाता है। गिलोय लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अंगुली जितनी मोटी, 10 ग्राम गेहूं की हरी पत्तियां लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर पीस लें फिर इसे कपड़े में रखकर निचोड़कर रस निकला लें। इस रस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।

आन्त्रिक (आंतों) के बुखार: 5 ग्राम गिलोय का रस को थोड़े से शहद के साथ मिलाकर चाटने से आन्त्रिक बुखार ठीक हो जाता है। गिलोय का काढ़ा भी शहद के साथ मिलाकर पीना लाभकारी है।

अजीर्ण (असाध्य) ज्वर: गिलोय, छोटी पीपल, सोंठ, नागरमोथा तथा चिरायता इन सबा को पीसकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से अजीर्णजनित बुखार कम होता है।

पौरुष शक्ति : गिलोय, बड़ा गोखरू और आंवला सभी बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ खाने से पौरूष शक्ति में वृद्धि होती है।

वात-कफ ज्वर: वात के बुखार होने के 7 वें दिन की अवस्था में गिलोय, पीपरामूल, सोंठ और इन्द्रजौ को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है।

दमा (श्वास का रोग): गिलोय की जड़ की छाल को पीसकर मट्ठे के साथ लेने से श्वास-रोग ठीक हो जाता है। 6 ग्राम गिलोय का रस, 2 ग्राम इलायची और 1 ग्राम की मात्रा में वंशलोचन शहद में मिलाकर खाने से क्षय और श्वास-रोग ठीक हो जाता है।

मलेरिया बुखार: गिलोय 5 अंगुल लम्बा टुकड़ा और 15 कालीमिर्च को मिलाकर कुटकर 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब यह 58 ग्राम बच जाए तो इसका सेवन करें इससे मलेरिया बुखार की अवस्था में लाभ मिलेगा।

बुखार: गिलोय 6 ग्राम, धनिया 6 ग्राम, नीम की छाल 6 ग्राम, पद्याख 6 ग्राम और लाल चंदन 6 ग्राम इन सब को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस बने हुए काढ़े को सुबह और शाम पीते रहने से हर प्रकार का बुखार ठीक हो जाता है।

कफ खांसी: गिलोय को शहद के साथ चाटने से कफ विकार दूर हो जाता है।

जीभ और मुंख का सूखापन:- गिलोय (गुरुच) का रस 10 मिलीलीटर से 20 मिलीलीटर की मात्रा शहद के साथ मिलाकर खायें फिर जीरा तथा मिश्री का शर्बत पीयें। इससे गले में जलन के कारण होने वाले मुंह का सूखापन दूर होता है।

जीभ की प्रदाह और सूजन: गिलोय, पीपल, तथा रसौत का काढ़ा बनाकर इससे गरारे करने से जीभ की जलन तथा सूजन दूर हो जाती है।

मुंह के अन्दर के छालें (मुखपाक): धमासा, हरड़, जावित्री, दाख, गिलोय, बहेड़ा एवं आंवला इन सब को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। ठण्डा होने पर इसमें शहद मिलाकर पीने से मुखपाक दूर होते हैं।

शारीरिक कमजोरी: 100 ग्राम गिलोय का लई (कल्क), 100 ग्राम अनन्तमूल का चूर्ण, दोनों को एक साथ 1 लीटर उबलते पानी में मिलाकर किसी बंद पत्ते में रख दें। 2 घंटे के बाद मसल-छान कर रख लें। इसे 50-100 ग्राम रोजाना 2-3 बार सेवन करने से बुखार से आयी शारीरिक कमजोरी मिट जाती है।

एड्स (एचआईवी): गुरुच (गिलोय) का रस 7 से 10 मिलीलीटर, शहद या कड़वे नीम का रस अथवा दाल चूर्ण या हरिद्रा, खदिर एवं आंवला एक साथ प्रतिदिन 3 बार खाने से एड्स में लाभ होता है। यह उभरते घाव, प्रमेह जनित मूत्रसंस्थान के रोग नाशक एवं जीर्ण पूति केन्द्र जनित विकार नाशक में लाभदायक होता है।

भगन्दर: गिलोय, सोंठ, पुनर्ववा, बरगद के पत्ते तथा पानी के भीतर की ईट- इन सब को बराबर मात्रा में लें, और पीसकर भगन्दर पर लेप करने से यदि भगन्दर की फुंसी पकी हो तो वे फुंसी बैठ जाती है। गिलोय, सांठी की जड़, सोंठ, मुलहठी तथा बेरी के कोमल पत्ते इनको महीन पीसकर इसे हल्का गर्म करके भगन्दर पर लेप करें इससे लाभ मिलेगा।

यकृत या जिगर का रोग: गिलोय, अतीस, नागरमोथा, छोटी पीपल, सोंठ, चिरायता, कालमेघ, यवाक्षार, हराकसीस शुद्ध और चम्पा की छाल बराबर मात्रा में लेकर इसे कूटकर बरीक पीस लें और कपड़े से छानकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-6 ग्राम की मात्रा में लेने से जिगर से सम्बंधित अनेक रोग जैसे- प्लीहा, पीलिया रोग, अग्निमान्द्य (अपच), भूख का लगना, पुराना बुखार, और पानी के परिवर्तन के कारण से होने वाले रोग ठीक हो जाते हैं।

प्यास अधिक लगना: गिलोय का रस 6 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में कई बार लेने से प्यास शांत हो जाती है।

पित्त बढ़ना : गिलोय का रस 7 से 10 मिलीलीटर रोज 3 बार शहद में मिलाकर खायें इससे लाभ मिलेगा।

मधुमेह: 40 ग्राम हरी गिलोय का रस, 6 ग्राम पाषाण भेद, और 6 ग्राम शहद को मिलाकर 1 महीने तक पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है। या 20-50 मिलीलीटर गिलोय का रस सुबह-शाम बराबर मात्रा में पानी के साथ मधुमेह रोगी को सेवन करायें या रोग को जब-जब प्यास लगे तो इसका सेवन कराएं इससे लाभ मिलेगा। या 15 ग्राम गिलोय का बारीक चूर्ण और 5 ग्राम घी को मिलाकर दिन में 3 बार रोगी को सेवन कराऐं इससे मधुमेह (शूगर) रोग दूर हो जाता है।

जोड़ों के दर्द (गठिया): गिलोय और सोंठ को एक ही मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने से पुराना गठिया रोग में फायदा मिलता है। या गिलोय, हरड़ की छाल, भिलावां, देवदारू, सोंठ और साठी की जड़ इन सब को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें तथा छोटी बोतल में भर लें। इसका आधा चम्मच चूर्ण आधा कप पानी में पकाकर ठण्डा होने पर पी जायें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द ठीक हो जाता है। या घुटने के दर्द दूर करने के गिलोय का रस तथा त्रिफुला का रस आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से लाभ मिलता है।

पेट में दर्द : गिलोय का रास 7 मिलीलीटर से लेकर 10 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

पीलिया रोग: गिलोय अथवा काली मिर्च अथवा त्रिफला का 5 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह और शाम चाटने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है। या गिलोय का 5 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है। या गिलोय की लता गले में लपेटने से कामला रोग या पीलिया में लाभ होता है। या गिलोय का रस 1 चम्मच की मात्रा में दिन में सुबह और शाम सेवन करें।

सूखा रोग (रिकेटस): हरी गिलोय के रस में बालक का कुर्त्ता रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चा कुछ ही दिनों में सही हो जायेगा।

मानसिक उन्माद (पागलपन): गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ पीने से उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है।

शरीर की जलन: शरीर की जलन या हाथ पैरों की जलन में 7 से 10 मिलीलीटर गिलोय के रस को गुग्गुल या कड़वी नीम या हरिद्र, खादिर एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करने से शरीर में होने वाली जलन दूर हो जाती है।

कुष्ठ (कोढ़): 100 मिलीलीटर बिल्कुल साफ गिलोय का रस और 10 ग्राम अनन्तमूल का चूर्ण 1 लीटर उबलते हुए पानी में मिलाकर किसी बंद बर्तन में 2 घंटे के लिये रखकर छोड़ दें। 2 घंटे के बाद इसे बर्तन में से निकालकर मसलकर छान लें। इसमें से 50 से 100 ग्राम की मात्रा प्रतिदिन दिन में 3 बार सेवन करने से खून साफ होकर कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक हो जाता है।

खून की कमी: 360 मिलीलीटर गिलोय के रस में घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से शरीर में खून की वृद्धि होती है। या गिलोय (गुर्च) 24 से 36 मिलीग्राम सुबह-शाम शहद एवं गुड़ के साथ सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।

सिर का दर्द: मलेरिया के कारण होने वाले सिर के दर्द को ठीक करने के लिए गिलोय का काढ़ा सेवन करें।

ज्यादा पसीना या दुर्गन्ध आना : 20 से 40 मिलीलीटर गिलोय का शर्बत 4 गुने पानी में मिलाकर सुबह-शाम के समय में पीने से बदबू वाला पसीना निकलना बंद हो जाता है।

शरीर को ताकतवर और शक्तिशाली बनाना : लगभग 4 साल पुरानी गिलोय जो कि नीम या आम के पेड़ पर अच्छी तरह से पक गई हो। अब इस गिलोय के 4-4 टुकड़े उंगली के जितने कर लें। अब इसको जल में साफ करके कूट लें और फिर इसे स्टील के बर्तन में लगभग 6 घंटे तक भिगोकर रख दें। इसके बाद इसे हाथ से खूब मसलकर मिक्सी में डालकर पीसें और इसे छानकर इसका रस अलग कर लें और इसको धीरे से दूसरे बर्तन में निथार दें और ऐसा करने से बर्तन में नीचे बारीक चूर्ण जम जाएगा फिर इसमें दूसरा जल डालकर छोड़ दें। इसके बाद इस जल को भी ऊपर से निथार लें। ऐसा 2 या 3 बार करने से एक चमकदार सफेद रंग का बारीक पिसा हुआ चूर्ण मिलेगा। इसको सुखाकर कांच बर्तन में भरकर रख लें। इसके बाद लगभग 10 ग्राम की मात्रा में गाय के ताजे दूध के साथ इसमें चीनी डालकर लगभग 1 या 2 ग्राम की मात्रा में गिलोय का रस डाल दें। हल्का बुखार होने पर घी और चीनी के साथ या शहद और पीपल के साथ या गुड़ और काले जीरे के साथ सेवन करने से शरीर में होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती हैं तथा शरीर में ताकत की वृद्धि होती है।

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