यह बंधन है सात फेरों का...!
सात फेरों के साथ सात जन्मों का ...
यह बंधन है पल प्रतिपल का...!
एक भरोसा, विश्वास, निश्चय का...
बंधन है प्यार का...!
सुख दुख में साथ निभाने का...
बंधन है तनमन प्राणों का...!
एक दूसरे को समर्पित करने का...
क्या बंधन है परिवारों का...!
यह बंधन सुखमय संस्कारों का...!
२. ब्याह जी हमारे रत्नों की खान
आए बाराती शक्ल सुजान
स्नेहा मिलन की घड़ी ये आई
चारों और है खुशियां छाई
पड़गम बाजे चारों ओर नाचे हमारे मन का मोर
कितनी सुंदर है यह बेला कितनी सुंदर श्याम
इतर गुलाब खुशबू छाई
मेहंदी में ने भी ली अंगड़ाई
शहनाई ने ऐसी गाय
सौ सौ दिलों में प्रीत समई
हाई चारों बाहर बहना गाए मंगलाचार
कितनी सुंदर है यह बेला कितनी सुंदर श्याम
माथे पर बिंदिया हाथों में चूड़ियां
इस घर की तू प्यारी गुड़िया
स्नेहा से भर भर गई आख हमारी
आज हो गई गुड़िया पराई
रखना दोनों कुल की लाज सफल हो गया हमारा काज
कितनी सुंदर है यह बेला कितनी सुंदर श्याम
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