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Tuesday 18 August 2020

हमेशा दूसरों के दोष निकालने वाले को जब शर्मिंदा होना पड़ा

एक आदमी के प्रत्येक कार्य में मीन मेक निकालने की आदत थी पूर्णाराम वह कभी भी कहीं भी संतुष्ट नहीं होता था। भोजन में साफ सफाई में दोष निकालता और पत्नी पर नाराज होता। बच्चों के कार्यों में भी गलतियां खोजता रहता। कार्यालय में अपने कनिष्ठ ओके काम में त्रुटियां निकाल कर उन्हें दाता। उसकी इस आदत से घर बाहर सभी लोग परेशान थे और चाहते थे कि किसी तरह वह सुधर जाए। वह आदमी कई बार होटल में भोजन करने जाता था क्योंकि घर के भोजन में भी उसे खामियां नजर आती थी पूर्णविराम होटल में भी वह वेटर को 500 निर्देश देता और सब वहां उसका मनमाफिक भोजन बना कर लाता तो उसमें गलतियां निकाल था पूर्णविराम इस कारण होटल के वेटर भी उसे परेशान थे। एक दिन उसे समुद्री भोजन करने की इच्छा हुई। होटल पहुंचा और वेटर को कुछ सीपिया लाने का आदेश या। वेटर आगे बढ़ा ही था कि वह उसे ताकीद करता हुआ बोला ध्यान रखना कि कृपया अधिक बड़ी हो और ना अधिक छोटी। दादा नमकीन हो और ना ज्यादा तली हुई। से अधिक मोटी पतली भी नहीं होनी चाहिए। यह सुनते ही वेटर ने व्यंग्य से पूछा आपसे पिया बिना मोतियों की खाना पसंद करेंगे या मोतियों के साथ। आदमी वेटर का व्यंग्य समझ गया और इतने ग्राहकों के बीच अपने बेज्जती होते देख सदा के लिए नियमित निकालने की आदत त्याग दी।

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