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Wednesday 19 August 2020

महावीर के उपदेश सुनकर संत बन गया अर्जुन

अर्जुन बड़ी श्रद्धा से एक यक्ष की नित्य पूजा करता था। एक दिन उसने जैसे ही पूजा खत्म की छह डाकू आ गए। उन्होंने अर्जुन को रस्सियों से बांधा और उसके घर को लूट लिया पूर्णविराम अर्न मन ही मन कहने लगा मैंने व्यर्थ ही इतने दिनों इस यक्ष की पूजा की। मैं जानता कि इतना असमर्थ है तो इसकी प्रतिमा उठाकर फेंक देता पूर्ण राम अर्जुन क्रोध में भी सच्चे भाव से मान रहा था की प्रतिमा जड़ नहीं है। उसमें सचमुच यक्ष है। उसके इस भाव से यक्ष प्रश्न हो अर्जुन के शरीर में प्रवेश कर गया। यक्ष के बल से अर्जुन ने अपने बंधन तोड़ दिए और लोहे के मुकद्दर से डाकुओं को मार गिराया। किंतु इसके बाद यक्ष के आवेश में हो वह प्रतिदिन साथ मनुष्य को मारने लगा। राजपूतों में हाहाकार मच गया। उन्हीं दिनों भगवान महावीर राजपुरोहित पधारे। उनके आगमन का समाचार उनके परम भक्त सेठ सुदर्शन को मिला तो वे उपदेश सुनने हेतु जाने लगे। घर के लोगों ने अर्थ उन का हवाला देकर रोका तो वे बोला मैं उसे समझा लूंगा। जब सुदर्शन के सामने अर्जुन आया तो प्रहार नहीं कर सका और भूमि पर गिर पड़ा। उसके शरीर में यक्ष प्रवेश किया अहिंसा का तेज सहन नहीं कर सका। इसलिए वह भाग गया। सीखने उसे उठाया और महावीर के उपदेश सुनाने ले गया। महावीर ने उपदेश सुनने के बाद अर्जुन संत हो गया। संत तनेजा जीवन में सकारात्मकता भर देता है। इससे उपजे सदाचरण से व्यक्ति का अंतःकरण पवित्र हो जाता है।

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