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Saturday 4 July 2020

मौत की सजा सन सेवक में दूसरी मृत्यु भी तोड़ दी

एक राजा कलाकारों का अत्यधिक सम्मान करता था। उस के दरबार में दूर-दूर से चित्रकार मूर्तिकार लेखक और कवि आदि आते और अपनी रचनाओं पर भरपूर प्रशंसा व पुरस्कार पाते थे। एक दिन किसी दूरस्थ खान से एक ख्यात मूर्तिकार राजा के पास आया। उसने राजा को 3 वर्षीय बेटी और होना राजन जब तक ए तीन मूर्तियां आप के दरबार में रहेगी तब तक आपके राज्य में सुख समृद्धि बनी रहेगी। राजा ने प्रसन्न होकर मूर्तिकार को इनाम में सोने के पिक्चर से भरा एक थैला दिया राजा ने अपने सेवकों को उन मूर्तियों का ध्यान से रखरखाव करने का आदेश दिया उनका यह सर्वे जी पालन होने लगा पूर्ण राम एक दिन दुर्घटना वर्ष एक सेवक के हाथ से सफाई करते वक्त एक मूर्ति गिरकर टूट गई। जब राजा को यह बात पता चली तो वह अत्यधिक नाराज हुए और उसने सेवक को मौत की सजा सुनाई पूर्ण राम राजा का आदेश सुनते ही उस सेवक ने बाकी ज मूर्तियां भी नीचे पटक कर तोड़ डाली। राजा इसका कारण पूछा तो वह बोला किसी ना किसी के हाथ से तो ये मूर्तिया । ऐसा करके मैंने त अन्य व्यक्तियों को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया है। सेवक की यह बात सुनकर राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने उसे क्षमा कर दिया। सार यह है कि दूसरों का हित चिंतन करने वाले का भगवान भी भला करते हैं। सदैव स्वयं से पहले दूसरों का ध्यान रखें।

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