प्यार भरे हफ्ते तो हर हफ्ते आते है अगर हम खुद से प्यार करे तो। महिलाये कई बातोकि अपेक्षाएं दूसरोंसे करती है। इसमें गलत कुछ भी नहीं क्यों की हर पत्नी से उसका पती भी सुपरवुमन वाला बर्ताव चाहता है। परिवार को अपने आप के पहले रखने वाली हे भारतीय नारी इस पोस्ट को गौर से पढ़ना - क्युकी अगर तू नहीं तो तेरा परिवार नहीं - महिलाये है तो परिवार है। पर अगर वो महिला खुश नहीं तो वो परिवार को कैसे खुश रखेंगी। थोड़ा उन सब परिवारके सदस्योंसे भी मेरा निवेदन है की इस पोस्ट को पढ़ना जरूर। इस पोस्ट में ज्यादा कुछ नहीं बस एक कविता शेयर की है मैंने - ये कविता मैंने नहीं लिखी लेकिन अगर आप में से या आपके परिचितों में से किसीने लिखी है तो मेरा शतशः नमन है उस व्यक्ति को।
इस कविता में एक स्त्री जो केवल आपसे प्रेमभरा कुछ समय चाहती है उसका आत्मकथन है। हर महिला की तरह ये खुद की प्रायोरिटी लिस्ट में अंत में है। हर स्त्री अपने आप को भूल जाती है जब बात उसके प्रियजनों की आती है। और उसका कम्पैरिजन हर किसीके साथ किया जाता है। जरा सोचिये अगर आपके हर कामका कम्पैरिजन किसी औरके साथ किया जाय तो कैसा लगेगा? या आपकी पत्नी, माँ, बहन आपको बार बार ये बताये की उसकी सहेली के जीवन में जो लोग है वो कैसे है तो क्या बीतेगी आप पर?
इमेज क्रेडिट: लाइवमिंट
और अंत में वो स्त्री आदर्श बननेकी अपनी भागमभाग को किनारे कर जब खुदको समय देना चाहती है - हर स्त्री ये करती नहीं पर ये करना चाहिए - क्यों की यही तरीका है खुदसे प्यार करने का और अपने आपको अपनानें का। सभी महिलाये जो इसे पढ़ रही है कृपया थोड़ा समय खुद के लिए निकाले और अपने आपको जैसे है वैसे अपनाये। खुशीके पल बटोरना ही जिन्दगीको खूबसूरत बनाता है। बहोत परफेक्शन में शायद ख़ुशी मिले न मिले पर जो जैसा है वैसा अपनाने में मनकी शांती घर में बस जाएगी और जहाँ शांती वहा सबकुछ।
आज मैंने ही मुझे चॉकलेट दी,
और गले, लगाकर लव यू कहा खुद को
मैंने ही किया है एक प्रॉमिस अपने आप से
हमेशा आनंदित रखूँगी मैं स्वयं को
प्रायोरिटी लिस्ट में मेरी जगह हमेशा अंतिम
वो जगह बनाउंगी मैं अब थोडी अग्रिम
सभी का करते हुवे भूलूंगी नही अपने आप को,
मैंने ही दे दिया है एक फूल, आज स्वयं को
बहुत दिनों से नीचे रख दिया है, वो सुपरवुमन का ख़िताब
मन पंछी को हो जाने दुंगी, रंगीन तितली आज....
नहीं बनाते आता मुझे उस जैसा भोजन
और रहना भी नही आता मुझे उस जैसा बनठन कर
आता नही टाईम मैनेजमेंट, मैं हूँ "ढ" ढब्बू ...
कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स मे भी, मैं हूँ बिलकुल पप्पू
आज मान्य है मुझे मेरे सारे दोष और कमियाँ, मेरा बैसाख.....
क्योकि आज उतार रख दिया है, मैंने आदर्श भारतीय नारी का पोशाख....
इसके बाल, उसकी ऊँचाई, इसका रंग, उसकी आवाज,
नही चाहिए मुझे वो आपसी तुलना, यही स्त्रियों का खरा श्राप ....
आज मैं पाकर ही रहूंगी अपूर्णता से पूर्णता का उ:शाप....
मैं ही सिखाऊंगी खुद को जैसी हूँ वैसी ही आज
आईने के सामने खड़ी होकर निहारूँगी मैं खुद को
ना किसी की, पत्नी, बहु, माँ, बेटी बनके...
आज मुझे अपने गुण दोषोसहित प्रेम करना है खुद से
क्यों चाहिए मुझे हमेशा ही घोड़े पे सवार, सपनो का वो राजकुमार?
मैं ही बनूँगी अपने सपनो की शिल्पकार...
आत्मआनंद के तालाब किनारे बैठूंगी कुछ देर ,
और निहारूँगी, सवारुंगी स्वयं के अस्तित्व की सुन्दर बेल !!!
एक बात हमेशा याद रखिये पुरे संसार में आप जैसे हो वैसा और कोई नहीं है। क्युकी इस कुदरत ने आपको खास बनाया है ताकी आप वो कर सके जो आपको करना है। इसीलिए अपने आप को जैसा है वैसा अपनाओ। दूसरोने दिए हुए सुझाव अपनाने चाहिए पर अन्य किसीने की हुई बुरी टिप्पणियाँ आपको परेशान नहीं करनी चाहिए। अगर आपके साथ भी ये सब होता है तो कमेंट जरूर करिए पर अपने आप को प्यारसे निहारना न भूले।
मेरे अन्य पोस्ट की लिस्ट आपके लिए खास।
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