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Monday 6 July 2020

मनगढ़ंत अनुमान लगाने वाले जब खुद बने उपहास के पात्र

मोहन और नितिन दो मित्र थे। दोनों बिना सोचे विचारे किसी भी व्यक्ति अथवा परिस्थिति के विषय में अनुमान लगा लेते थे। उनके अनुमान ज्यादातर गलत होते थे। इसीलिए हुए उपहास के पात्र बन जाते थे उन्हें राम किंतु फिर भी दोनों सुधरने का नाम ही नहीं लेते थे। दोनों के परिजन उनकी इस आदत से परेशान थे। क्योंकि दोनों अंदर कल अनुमान लगाने के बाद उसी दिशा में कार्य भी करने लगते पूर्णाराम जिससे बाद में आने उठानी पड़ती थी 1 दिन दोनों के अभिभावकों ने उन्हें सुधारने के लिए एक नाटक रचा। उन्होंने एक व्यक्ति को जान-बूझकर दोनों के सामने भेजा। वह व्यक्ति लंगड़ा कर चल रहा था। उसे देखकर झट से मोहन बोला मैं निश्चित रूप में कह सकता हूं कि यह पैदाइशी लंगड़ा है। नितिन उसकी बात काटते हुए बोला नहीं मेरा मानना है कि यह दुर्घटना में लंगड़ा हुआ है। दोनों के बीच बहस होने लगी। तभी वहां नितिन और मोहन के पिता आए और अपने अपने पुत्र को सही बता कर परस्पर लड़ने लगे पुनौरा बात बढ़ती देख दोनों मित्रों ने तय किया कि जिसका अनुमान गलत निकलेगा वह बिना विचारे और जीवन अनुमान नहीं लगाएगा। फिर दोनों ने उस आदमी से लंगड़ा आने का कारण पूछा तो वह बोला मैं तो लंगड़ा कर इसीलिए चल रहा हूं क्योंकि मेरी एक चप्पल टूट गई है। सुनकर दोनों को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उन्होंने कभी विचार एक अनुमान लगाने की कसम खा ली। ठोस प्रमाण और परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर ही अनुमान लगाना उचित होता है। अन्यथा उपहास का पात्र बनते देर नहीं लगती।

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