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Friday 10 July 2020

जेलर के आने तक चुपचाप खड़े रहे गांधीजी और कस्तूरबा

यह घटना उन दिनों की है जब अंग्रेजों ने गांधी जी को जेल में बंद कर रखा था। गांधीजी का आचरण जेल में भी अत्यंत अनुशासित था। 1 कैदियों की ही तरह सवेरे उठते स्नान ध्यान के बाद जेल के कार्यकर्ता और अन्य कैदियों के साथ भोजन करते। उन्हें कभी अपने विशिष्ट होने का विचार भी नहीं आता और ना ही इस आधार पर उन्होंने कभी किसी विशेष सुविधा की मांग की कि। अन्य नियमों के साथ ही था कि जब किसी से कोई परिजन मिलने आता था तो मुलाकात के वक्त जेल का एक अधिकारी वहां मौजूद रहता था। एक दिन गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा उनसे मिलने जेल में आई। जेल के नियमानुसार जेलर उनके साथ अंदर गया किंतु फिर यह सोच कर कि उसके वहां रहने से दोनों पत्नी और पति खुलकर बातचीत नहीं कर पाएंगे वह बाहर चला गया पूर्णविराम कि गांधीजी का सभी आदर करते थे और जेलर भी उनकी महानता के समक्ष श्रद्धा बनत था अतः वह वहां से हट गया। मुलाकात का समय पूरा होने पर जब जेलर लौटा तो गांधीजी और कस्तूरबा दोनों को चुपचाप खड़ा देख पूछ बैठा आप दोनों चुपचाप क्यों खड़ी है गांधी जी बोले मैं जेल के नियम जानता हूं इसलिए आपकी अनुपस्थिति में हम बात कैसे करते दरअसल आम और खास दोनों के द्वारा नियम पालन से एक ऐसी सुव्यवस्था कायम होती है। जो एक समता पूर्ण समाज की स्थापना करती है।

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