नमस्कार दोस्तों, आज हम कक्षा 7 की NCERT की पुस्तक की पहली कविता का मतलब समझने वाले है।
होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखो की होंडा-होडी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।
अर्थ- पंछियो में क्षितिज यानि जहा जमीन और आकाश है, पहुंचने की एक प्रतियोगिता की तरह चलती रहती हैं, इसमें या तो वे पंछी क्षितिज तक पहुंच जाते है या फिर उनकी साँसे तैनाती है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर अपने इसके पिछले भेज नहीं देखे तो यहाँ click कीजिये।
होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखो की होंडा-होडी,
या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।
अर्थ- पंछियो में क्षितिज यानि जहा जमीन और आकाश है, पहुंचने की एक प्रतियोगिता की तरह चलती रहती हैं, इसमें या तो वे पंछी क्षितिज तक पहुंच जाते है या फिर उनकी साँसे तैनाती है।
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