नमस्कार दोस्तों, आज हम कक्षा 7 की NCERT की पुस्तक की पहली कविता का मतलब समझने वाले है।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपने देख रहे है
तरु की फुनगी पर के झूले।
अर्थ- हमे इन पंक्तियों में यह बताया गया है की पंछी क्या सोचते है, वह सोने के पिंजरे में बांध रह कर अपनी उड़ान को भूल रहे है, अपनी गति को भूल रहे है। अब तो वह पींजरे में बंध पंछी, पेड़ की सबसे उची डाली पर झूलने के सिर्फ सपने देखते है, जो वे पहले मजे ले कर करते थे अब वह बास इसके सपने ही देख सकते है।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर अपने इसके पिछले भेज नहीं देखे तो यहाँ click कीजिये।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपने देख रहे है
तरु की फुनगी पर के झूले।
अर्थ- हमे इन पंक्तियों में यह बताया गया है की पंछी क्या सोचते है, वह सोने के पिंजरे में बांध रह कर अपनी उड़ान को भूल रहे है, अपनी गति को भूल रहे है। अब तो वह पींजरे में बंध पंछी, पेड़ की सबसे उची डाली पर झूलने के सिर्फ सपने देखते है, जो वे पहले मजे ले कर करते थे अब वह बास इसके सपने ही देख सकते है।
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