नमस्कर दोस्तों आज हम कक्षा 7 की हिंदी पुस्तक के पहले पाठ 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' को समझेंगे।
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएंगे,
कनक तीलियों से टकरकर
पुलकित पंख टूट जएंगे।
अर्थ- हमे इन पंक्तियों में यह बताया गया है की पंछी क्या सोचते है, पंछी उन्मुक्त यानि खुले आसमान में उड़ाना पसंद करते है, वे पिंजरे में बंध नहीं रहना चाहते। वह सोने की तीलियों से टकराकर अपने पुलकित यानि कोमल पंखो को चोट नहीं पहुंचना चाहते।
तो कैसा लगा आपको ये article, पढ़ने के लिए धन्यवाद।
पिंजरबद्ध न गा पाएंगे,
कनक तीलियों से टकरकर
पुलकित पंख टूट जएंगे।
अर्थ- हमे इन पंक्तियों में यह बताया गया है की पंछी क्या सोचते है, पंछी उन्मुक्त यानि खुले आसमान में उड़ाना पसंद करते है, वे पिंजरे में बंध नहीं रहना चाहते। वह सोने की तीलियों से टकराकर अपने पुलकित यानि कोमल पंखो को चोट नहीं पहुंचना चाहते।
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