नमस्कार दोस्तों, आज हम कक्षा 7 की NCERT की पुस्तक की पहली कविता का मतलब समझने वाले है।
नीद न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए है तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।
अर्थ- हमें यह समझना चाहिए की किसी से भी अपनी स्वतंत्रता नहीं छीननी चाहिए, हम इंसान जानवरों को पिजरों में बंद करके रखते है; कई सालो तक, या फिर उन्हें बेच देते है। पर हम कूद कुछ महीने भी बंद नहीं रह सकते, हमें पंछियों को उड़ने से नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि इन्हे प्रकृति ने पंख किसी वजह से ही दिए होंगे। इसलिए हमें इनकी उड़ान में परेशै नहीं डालनी चाहिए।
पढ़ने के लिए धन्यवाद। अगर अपने इसके पिछले भेज नहीं देखे तो यहाँ click कीजिये।
नीद न दो, चाहे टहनी का
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए है तो
आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।
अर्थ- हमें यह समझना चाहिए की किसी से भी अपनी स्वतंत्रता नहीं छीननी चाहिए, हम इंसान जानवरों को पिजरों में बंद करके रखते है; कई सालो तक, या फिर उन्हें बेच देते है। पर हम कूद कुछ महीने भी बंद नहीं रह सकते, हमें पंछियों को उड़ने से नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि इन्हे प्रकृति ने पंख किसी वजह से ही दिए होंगे। इसलिए हमें इनकी उड़ान में परेशै नहीं डालनी चाहिए।
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