हर कोई अपना लगता था कभी हमको भी...
आज इतने अकेले हैं कि खुद से ही पराये हो गये...
=====हर कोई अपना लगता था कभी हमको भी...
आज इतने अकेले हैं कि खुद से ही पराये हो गये...
=====हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।
=====बस इतनी "पाकीज़ा" रहे "आईना-ऐ-ज़िन्दगी"...!!
जब खुद से मिले "नज़र" तो "शर्मसार" ना हो...!!
=====हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।
=====कभी कभी तो खुद से इतनी जबरदस्त चाय बन जाती है कि मन करता है एक चाय की दुकान ही खोल लूँ। फिर यही सोचकर रह जाता हूँ कि कहीं किसी ने प्रधानमंत्री बना दिया तो? बहुत काम करने पड़ेगेI
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