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Wednesday 17 June 2020

साधना के बल पर माधवाचार्य ने रचा आयुर्वेद ग्रंथ

स्वामी माधवाचार्य जी मैं वृंदावन में रहकर गायत्री साधना करनी आरंभ की। स्वामी जी अत्यंत मनोरोग और वैश्विक दबाव से साधना करते। 13 वर्ष तक उनकी गायत्री साधना चलती रही। किंतु इतनी लंबी अवधि बीत जाने के उपरांत भी कोई चमत्कार नहीं दिखाई दिया पूर्ण राम स्वामी जी निराश हो गए। फिर किसी की सलाह पर वे वाराणसी गए और वहां एक अघोरी को अपनी समस्या बताई। अघोरी ने कहा कि तुम हमारी बताई हुई साधना आरंभ कर दो तो 1 माह ने ही प्रत्येक चमत्कार हो जाएंगे। माधवाचार्य जी ने उनकी बताई हुई विधि से साधना आरंभ की। 1 माह बाद साधना के दौरान स्वामी जी को आवाज आएगी हम तेरी साधना से प्रसन्न है वर मंगो। स्वामीजी ने दर्शन देने की प्रार्थना की। किंतु आवाज आई कि मैं तुम्हारे समक्ष नहीं आ सकता। क्योंकि तुम्हारे मुख मंडल पर गायत्री साधना का तेज है। उसके सामने मैं ठहर नहीं सकता माधवाचार्य जी बोले यदि ऐसा है तो आप मुझे यह बताइए कि मैंने 13 वर्ष गायत्री साधना की किंतु कोई चमत्कार क्यों नहीं हुआ। आवाज आई की अब तक की साधना प्रारंभ है को काटने में विनशप सुनकर माधवाचार्य जी पुनः वृंदावन गायत्री साधना करने लगे और साधना से प्राप्त शक्ति से उन्हें माधव निदान नामक आयुर्वेद के दुर्लभ ग्रंथ की रचना कर दी पूरा का निहितार्थ यह है कि एक निष्ठ भक्ति भाव से साधना करने पर उसका प्रतिफल अवश्य मिलता है। बस जरूरत है तो धैर्य है।

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