बाबू हर रात गुजर रही है रूठने और मनाने में
=====जी चाहता है तुमसे प्यारी सी बात हो
खामोश तारे ओर लंबी सी रात हो
फिर सारी रात तुमसे हम कहते रहे
कि तुम मेरी जिंदगी तुम मेरी कायनात हो
=====एक पल में टूट जाए इन उजालों का गुरुर,.
मैं दिन में कह दूँ .अगर रात की सच्चाईया
=====दिन हुआ है तो रात भी होगी,
हो मत उदास, कभी बात भी होगी,
इतने प्यार से दोस्ती की है,
जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी.
=====बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी . . .
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है .
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वो दिन दिन नही, वो रात रात नही, वो पल पल नही, जिस पल आपकी बात नही,
आपकी यादो से हंमे मौत अलग कर दे, ये मौत की औकात नही
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अंधेरी साँझ के दर पे मोहब्बत छान के बैठा हूँ
साँझ से रात कि राहों में मैं ईश्क तान के बैठा हूँ.
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तू मुझको मान ले अपना तुझे मैं मान के बैठा हूँ
तू आजा रात सी सजके मैं दिल थाम के बैठा हूँ .
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चांदनी रात हो, तुम्हारा साथ हो,
दिल कैसे ना मचलेगा. तुम कहो साँवरे।
सांसो मे खुशबु, हो मौसम बेइमान हो,
ऑखो में उंमाद हो, सावन की फुहार हो,
हाथो मे हाथ हो, इंकार ना इकरार हो,
चाहतो का आलम हो,मदमस्त शाम हो,
लरजते होठं हो, सासो की गर्माहट हो,
दिल कैसे ना मचलेगा. तुम कहो साँवरें।
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मैं राज़ तुझसे कहूँ, हमराज़ बन जा ज़रा.
रात को जब सब सो जाएँ, तू सपनों में मिलने आ ज़रा…
======ना जाने किस रैन बसेरे की तलाश है इस चाँद को;
रात भर बिना कम्बल, भटकता रहता है इन सर्द रातों में!
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हर एक शय बे-मेल थी कैसे बनती बात..
आँखों से सपने बड़े नींद से लम्बी रात
=====उन्हें वहम है कि बस मुँह फेरकर भुला पाएँगे हमें,
कोई समझाए कि आँखें मूँदने से रात नहीं हुआ करती
=====चमका है उसका शहर कल रात बेहिसाब
शायद किसीने दिल जलाकर सरेआम रख दिया,
=====महोब्बत.. ये वो जजबा है जो मिल जाए तो किस्मत..
ना मिले तो बदनसीबी पर हो अगर वाजीब
बडी तडपाती है दिन रात सताति है
पर कंबख्त ये है, तो ही जिंदगी जन्नत कहलाती है!
======दिन हुआ है तो रात भी होगी,
हो मत उदास, कभी बात भी होगी,
इतने प्यार से दोस्ती की है,
जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी..
=====लोग कहते है कि वाह क्या शबनम छाई है..
उन्हें क्या मालूम कि चाँद ने रो कर रात बितायी है..
=====तेरे एहसास की खुशबू मेरी साँसों में बहती है
तेरे दीदार की ख़्वाहिश मुझे दिन रात रहती है
=====तन्हाइयों में मुस्कुराना इश्क है;
एक बात को सबसे छुपाना इश्क है;
यूं तो नींद नहीं आती हमें रात भर;
मगर सोते-सोते जागना और जागते-जागते सोना इश्क है
======समां बांध देते हैं तुम्हारे खयाल कुछ इस तरह मन में,
दौर ए गुफ्तगू चलता है सारी सारी रात आंखों में।
=====बचपन मे सबसे ज्यादा दुख तो तब होता था
जब रात भर चल रही बारिश
सुबह स्कूल के टाइम पर बंद हो जाती थी
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