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शलाका के माँ बाप इंग्लैंड में रहते थे पर अपनी देश की मिटटी से उन्हें काफी लगाव था। इसीलिए शलाका का इंजीनियरिंग होते ही उन्होंने दिल्ली में रहने वाले अपने दोस्त के बेटे शशांक के साथ शलाका का विवाह करवा दिया। शशांक बिज़नेस करता था और इस सिलसिलेमें अक्सर देश-विदेश घूमते रहता था। शलाका को भी अपना करियर करने की आजादी दे रखी थी उसने।
दोनों अपना अपना प्रोफेशन संभालते हुए एक दूसरे के साथ काफी खुश थे। शादी के कुछ साल बाद दोनों ने अपनी फॅमिली आगे बढ़ाने का सोचा और उस हिसाबसे शलाका प्रेगनेंट भी हो गयी हो गयी। अपना जॉब और माँ बनने की जिम्मेदारी दोनों भी शलाका अच्छेसे निभा रही थी। पर कुछ कॉम्प्लीकेशन्स की वजह से उसके सामने दो में से एक का चुनाव करना जरुरी हो गया - या तो अपना ड्रीम जॉब या अपना होने वाला बच्चा।
शलाका चाहती थी तो अपना जॉब चुन सकती थी पर उसने अपनी भावना को समझा - शरीर की मांग को भी समझा और अपने होने वाले बच्चे की खुशहाल जिन्दंगी के लिए जॉब छोड़ दिया। उसे पता था ये करना उसके मन लायक प्रमोशन के लिए ठीक नहीं है फिरभी उसने अपने दिल की सुनी और लम्बी छुट्टीपर घर परही रुक गयी। अनेक कॉम्प्लीकेशन्स को संभालते हुए शलाका ने समय के पहले एक बेटे को जनम दिया - अभिषेक। अभिषेक को बचपन में काफी देखभाल की जरुरत थी इसीलिए वो पाँच साल का होने तक शलाकाने ऑफिस ज्वाइन नहीं किया और पूरी तरह से अभिषेक की देखभाल में जुट गयी।
अभिषेक स्कूल जाना शुरु कर दिया उसके बाद शलाका ने फिरसे जॉब शुरू किया। अभिषेक की परवरिश और देखभाल में शशांक भी उतनी ही मदत करता था। पर की बार वो भी अपने बिज़नेस के सिलसिले में बाहर गया हुआ रहता था तो शलाका वर्क फ्रॉम होम करती थी। इस वजह से शलाका को कई मौके - जो उसके करियर के लिए अच्छे थे - हाथ से जाने देने पड़े। अभिषेक ट्वेल्थ पास करने के बाद उसे आगे की पढाई के लिए अमेरिका भेजा गया। ३ -४ साल बिट गए अमेरिका में अभिषेक ने अपने करियर को बनाने के लिए जो भी संभव था वो किया और वो वहाँ व्यस्त हो गया।
एक दिन शशांक अपने काम से कही विदेश गया हुआ था पर प्लेन क्रैश में उसकी मृत्यु हो गयी। शलाका ने अभिषेक को कहा कुछ दिन अपने घर दिल्ली आ जाये। अभिषेक पंद्रह दिन के लिए आ भी गया था क्यों की उसकी छुट्टिया चल रही थी। ये पंद्रह दिन कहा खत्म हो गए पता ही नहीं चला।
जाने के पहले एक दिन शलाका ने कहा, "अभिषेक, बेटा और कुछ दिन मेरे पास रुक जाओ। "
अभिषेक ने जवाब दिया, " बिलकुल नहीं। यहाँ रुकने से ज्यादा कई जरूरी काम है जो मुझे वहां जाकर करने है। मुझे मेरा करियर है। आप मेरे सामने ये रोनाधोना मत करिये। " और उसने धड़ाम से अपने रूम का दरवाजा बंद कर दिया।
क्या इस दुःख के समय पर शलाका ने अपने बेटे अभिषेक को थोड़ा और समय माँग लिया तो गलत किया क्या ?
आपको क्या लगता है जरूर कमेंट करिये।
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