Image Credit: Harmony Shayari
१)
तुम मुझ पर लगाओ मैं तुम पर लगाता हूँ.
ये ज़ख्म मरहम से नहीं इल्ज़ामों से भर जायेंगे.
२)
रिश्तों में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी रखना;
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है।
३)
मरहम ना सही एक और जख्म ही दे दो।
महसूस तो हो कि भूले नहीं हो तुम।।
४)
मरहम लगा सको तो गरीब के जख्मो पर लगा देना
हकीम बहुत है बाज़ार में अमीरो के इलाज के लिए.
५)
कोई मरहम नहीं चाहिये जख्म मिटाने के लिये
तेरी एक झलक ही काफी है, मेरे ठीक हो जाने के लिये.
६)
मंजिल मिले ना मिले ये तो मुकदर की बात है!
हम कोशिश भी ना करे ये तो गलत बात है
जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से, फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो.
७)
फूल सबनम में डूब जाते है,
झख्म मरहम में डूब जाते है |
जब आते है खत आपके ;
हम और प्यार में डूब जाते है ||
८)
मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिम,
महसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो।
=========
No comments:
Post a Comment