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उड़जारी म्हारी काळी कोयलिया। कद म्हारा रामदेव घर आसी।
उड़ उड़ उड़ उड़ उडरे। उड़ जारी म्हारी।।धृ।।
जो तू कोयलिया सुगन मनावे।
बापजीरो म्हाने तू संदेशो सुनावे।
पाव में बाँधु थारे पैजनिया।
उड़ जारी म्हारी।।१ ।।
काई तू पूरब जनम रो पाप कमायो।
काळा काळा रंगसु विधाता बनायो।
पीहू पीहू बल रही कोयलिया।
उड़ जारी म्हारी।।२ ।।
आवतो आषाड़ संदेशो सुनवायदे।
सावन भादवा मेही बरसादे।
कोई ठंडी ठंडी चल रही पुरवारिया।
उड़ जारी म्हारी।।३ ।।
उड़जा रुणेचो म्हारो संदेशो सुनादे।
रामदेव धनीने म्हारो दुखडो सुनादे।
म्हारी आण थाने बेगि बेगी आईजो।
उड़ जारी म्हारी।।४ ।।
रामदेव धनीने लेती पाछी आईजे।
पगामाय थारे बाँधु पैजनिया।
म्हारी आखियासू झळ रह्यो काजळियो।
उड़ जारी म्हारी।।५ ।।
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