ध्वजा बंद लाज राख म्हारी। ध्वजा बंद लाज राख म्हारी।
चार कोट चौदा भुवन में। अखंड ज्योत धारी।।
सूरज सामो बन्यो देवरो। मौज बनी अति भारी।
दूर देशारा आवेरे जातरू। नमन करे नरनारी।।
माता मैणादे पिता अजमलजी। बड़ा बिरमदेव भाई।
रामदेव तो बिन्द बन्या है। नेतल ने परणाई।।
आंधलियाणे आख्या दीजो। पांगळियाने पाँव।
निपुत्रीने पुत्र दिरावो। राखो भक्तारी लाज।।
अमरकोट में मेरी मंजारी। सासु परचा पावे।
कंचन देह करो रे सालारी। जस गावे नर नारी।।
पूंगलगढ़सु सुगना आयी। माता लाड लड़ायी
पुत्र म-यो सरजीवन कीनो। बाबो खोळ भराई।।
ऊंचा ऊंचा शिखर थारा। कलश दिखे अति भारी।
रामदेवरे जाय ब-या है। सबरा मन हरषाई।।
माँ भादवारो मेळो लागो। थारी ज्योत सवाई।
जो कोई थाकी करे ध्यावना। फल पावे नरनारी।।
निकलंक परचा थारा जगतमे। हरख धनीरो आवे।
लाखा ऊपर मेळो रे भरिजे। सबरी आस पुरावे।।
चार कोट चौदा भुवन में। अखंड ज्योत धारी।।
सूरज सामो बन्यो देवरो। मौज बनी अति भारी।
दूर देशारा आवेरे जातरू। नमन करे नरनारी।।
माता मैणादे पिता अजमलजी। बड़ा बिरमदेव भाई।
रामदेव तो बिन्द बन्या है। नेतल ने परणाई।।
आंधलियाणे आख्या दीजो। पांगळियाने पाँव।
निपुत्रीने पुत्र दिरावो। राखो भक्तारी लाज।।
अमरकोट में मेरी मंजारी। सासु परचा पावे।
कंचन देह करो रे सालारी। जस गावे नर नारी।।
पूंगलगढ़सु सुगना आयी। माता लाड लड़ायी
पुत्र म-यो सरजीवन कीनो। बाबो खोळ भराई।।
ऊंचा ऊंचा शिखर थारा। कलश दिखे अति भारी।
रामदेवरे जाय ब-या है। सबरा मन हरषाई।।
माँ भादवारो मेळो लागो। थारी ज्योत सवाई।
जो कोई थाकी करे ध्यावना। फल पावे नरनारी।।
निकलंक परचा थारा जगतमे। हरख धनीरो आवे।
लाखा ऊपर मेळो रे भरिजे। सबरी आस पुरावे।।
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