अजमल सूत श्री रामदेव। भक्तारा अवतार आसरो थारो है।
मरुधर में अजमल सिंहजी। पेलो परचो पायो है।
लोगा सुं सुण बांझड़िया। द्वारका पूरी आया है।
हे रणछोड़ सुधी लो म्हारी। द्वापररा अवतार।
आसरो थारो है। ....
दूजो परचा माता ने। बालापण में दीनो है।
दूध उफणता चुलारो। बाह बढ़ाकर ता-यो है।
नाम बताया रामदेवजी। लीलेरा असवार।
आसरो थारो है। ....
तीजो परचो हरजीने है। कपडारे घोड़े की।
कपट रच कुमती आई। काळा मेळा कपडा की।
अंतरयामी परचो दिनों। सुनली करुण पुकार।
आसरो थारो है। ....
सेठ बोहितो मूंदडो है। बिनज करे है मिरची को।
निर्धनीयाने तार दिया। परचा देखो बाबाको।
ब्याह पसारी नाव तिराई। तू है लख दातार।
आसरो थारो है। ....
लखी बिणजारो बालद में। मिसरी गुजराथी लायो।
रुणेचाके नगरी में। नमक सांभर बतलायो
करणीरा फळ देख बापरा। रखवालो करतार।
आसरो थारो है। ....
भैरु भूतड़ा कहलाया। मरुधर में सायल मेरी।
रूप भयंकर राक्षस को। नहीं देखे है नरनारी।
गेंद उछालत परचो दिनों सांचो है दरबार।
आसरो थारो है। ....
बाई लाछा को ब्याव रच्यो। दीज्यो डायजो पोकरणो।
लवर रुणेचा में आया। रामदेवरो दुःख हरणो।
घर घर थारी ज्योत जले है। भक्तारा आधार।
आसरो थारो है। ....
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