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Wednesday 11 December 2019

तालों की साधारण परिभाषाएं


तीनताल
मात्रा सोलह चार भाग, एक खाली को जान।
तीनों लय बिहरे सदा, तीनताल पहचान।।
तीनताल पहचान, एक पांच तेरह पर ताली।
"देवेन्द्र" ध्यान में रखो सदा, नो पर है खाली।।

झपताल
चंचल प्रकृति दस मात्रा, चार भाग को मान।
छः खाली एक तीन आठ पर ताली, झपताल को जान।।
झपताल को जान, तीनों लय में अति सोहे।
खण्ड जाति "देवेन्द्र" गुनियन मन मोहे।।

सूलताल
मात्रा दस गम्भीर प्रकृति, पांच भाग को जान।
एक पांच सात पर ताली, तीन नो खाली मान।।
तीन नो खाली मान, मृदंग पर अति सोहे।
"देवेन्द्र" ध्रुपद के संग, सूल गुनियन मन मोहे।।

चारताल
मात्रा बारह छः भाग, चार ताली द्वे काल।
ध्रुपद संग बिहरे सदा, गंभीर ताल चौताल।।
गम्भीर ताल चौताल, मृदंग पर अति सोहे।
कहें "देवेन्द्र" किटधा तिटकत गदीगन मन मोहे।।

दीपचन्दी ताल
अति चंचल चाचर मधुर, होरी संग सुहाय।
चौदह मात्रा चार भाग, दीपचन्दी मन भाय।।
दीपचन्दी मन भाय, एक चार ग्यारह पर ताली।
मिश्र जाति "देवेन्द्र" आठ पर है खाली।।

आड़ाचार ताल
मात्रा चौदह सात भाग, चौताली त्रय काल।
तीनों लय निरतत सदा, धन आड़ा चौताल।।
धन आड़ा चौताल, एक तीन सात ग्यारह पर ताली।
"देवेन्द्र" सदा रखो ध्यान, पांच नो तरह पर खाली।।

एकताल
बारह मात्रा छः भाग, चंचल छवि सोहे।
1, 5, 9, 11 ताल, 3, 7 खाली मन मोहे।।
तीनों लय में घुमि, अनोखा रंग जमावे।
कहें "देवेन्द्र" ख्याल, एकताले में अति भावे।।

धमार ताल
चौदह मात्रा चार भाग, त्रय ताली एक काल।
मृदंग संग नाचे सदा, विषम धमार ताल।।
1,6, 11 ताल, प्रकृति गंभीर सुहाती।
"देवेन्द्र" खाली आठ, ध्रुपदियों के मन भाती।।

झूमरा ताल
चंचल छवि पर मंद गति, अर्द्ध समपदी सुहाय।
त्रय ताली एक काल संग, झूमरा अति मन भाय।।
झूमरा अति मन भाय, मात्रा चौदह हैं इसकी।
"देवेंद्र" एक, छः, ग्यारह ताल, आठ पर खाली जिसकी।।

सवारी ताल
अति मधुर चंचल सरस, कुंजर की सी चाल।
पंद्रह मात्रा मंद गति, जानों सवारी ताल।।
जानों सवारी ताल, ताली 1, 4, 12 पर सोहे।
आठ खाली "देवेन्द्र", सवारी गुनियन मन मोहे।। 


धमार ताल
चौदह मात्रा चार भाग, त्रय ताली एक काल।
मृदंग संग नाचे सदा, विषम धमार ताल।।
1,6, 11 ताल, प्रकृति गंभीर सुहाती।
"देवेन्द्र" खाली आठ, ध्रुपदियों के मन भाती।।

झूमरा ताल
चंचल छवि पर मंद गति, अर्द्ध समपदी सुहाय।
त्रय ताली एक काल संग, झूमरा अति मन भाय।।
झूमरा अति मन भाय, मात्रा चौदह हैं इसकी।
"देवेंद्र" एक, चार, ग्यारह ताल, आठ पर खाली जिसकी।।

सवारी ताल
अति मधुर चंचल सरस, कुंजर की सी चाल।
पंद्रह मात्रा मंद गति, जानों सवारी ताल।।
जानों सवारी ताल, ताली 1, 4, 12 पर सोहे।
आठ खाली "देवेन्द्र", सवारी गुनियन मन मोहे।।

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