वो मेरी माँ है, जो तुम्हारी सास है!
आज वो मुझसे दूर, मगर तुम्हारे पास है!
आज वो मुझसे दूर, मगर तुम्हारे पास है!
तुम मेरी जगह कभी ना आना
अपने लिये नई राह बनाना!
अपने लिये नई राह बनाना!
जब कभी वो तुम्हें लाड़ ना करें..
इस का कसूरवार मुझे ना बताना!
इस का कसूरवार मुझे ना बताना!
मुझे तो माँ लाड़ कम,
डांटती ज्यादा थी,
आसान नहीं था तब भी उन्हें मनाना!
डांटती ज्यादा थी,
आसान नहीं था तब भी उन्हें मनाना!
नये घर जाना है" हर रोज सुनाती थी,
ऐसा कहकर हर काम सिखाती थी!
ऐसा कहकर हर काम सिखाती थी!
कभी मन से, कभी बेमन से चुपचाप,
बिना कुछ कहे, मैं भी सीख जाती थी!
बिना कुछ कहे, मैं भी सीख जाती थी!
मगर मैं जानती थी,
वो ऐसा मुझे मजबूत बनाने को करती हैं!
वो ऐसा मुझे मजबूत बनाने को करती हैं!
जग हंसाई ना हो, वो इस बात से डरती हैं,
नहीं तो कौन माँ ये सब कहती है!
नहीं तो कौन माँ ये सब कहती है!
भाभी! यही उमीद वो तुमसे लगा बैठी,
मेरी ही तरह, तुम्हें समझा बैठी!
मेरी ही तरह, तुम्हें समझा बैठी!
उनके लाढ़ के तरीके ही ऐसे हैं,
हम दोनों ही उनकी नज़र में एक जैसे हैं!
हम दोनों ही उनकी नज़र में एक जैसे हैं!
आज दूर हूं और कभी कभार आती हूं,
वक्त कम होता है, माँ का लाढ़ पाती हूं!
वक्त कम होता है, माँ का लाढ़ पाती हूं!
तुम्हें लगता है ननद को इतना प्यार क्यूं?
मुझे नसीहत हर बार क्यूँ?
मुझे नसीहत हर बार क्यूँ?
आज तुम बहु हो वहां की,
मैं हूं बहु अपने यहां की!
मैं हूं बहु अपने यहां की!
तो मुझसे ये ईर्ष्या कैसी,
मैं भी हूं भाभी किसी की!
मैं भी हूं भाभी किसी की!
मत रख भाभी मन में मलाल कोई,
औरत जान मुझे ना कर सवाल कोई!
औरत जान मुझे ना कर सवाल कोई!
सास बहु में ननद का शोर ना रख,
मेरी प्यारी भाभी, अपने मन मे कोई चोर ना रख!
मेरी प्यारी भाभी, अपने मन मे कोई चोर ना रख!
माँ के बाद भाभी तुझसे ही निभानी है,
तु मेरे मायके की लक्ष्मी,
भैया के दिल की रानी है!
तु मेरे मायके की लक्ष्मी,
भैया के दिल की रानी है!
भाभी ननद" का रिश्ता,
खट्टा मीठा आचार है!
भाई भाभी हैं तो ननद के तीज त्यौहार है!
खट्टा मीठा आचार है!
भाई भाभी हैं तो ननद के तीज त्यौहार है!
No comments:
Post a Comment