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Sunday 7 April 2019

लॉकर की दो चाभियाँ

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Image Credit: Zee News

एक पान वाला था। जब भी पान खाने जाओ ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है जल्दी पान लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती। सुशिल हर रोज वहाँ पान खाने जाता था। 
एक दिन अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई। तक़दीर और तदबीर की बात सुन सुशिल ने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी देख ही लेते हैं। उसने एक सवाल उछाल दिया। सुशिल का सवाल था कि "आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से?"
और उसके जवाब से सुशिल के दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
कहने लगा, "आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा? उसकी चाभियाँ ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाभियाँ होती हैं। एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास। आप के पास जो चाभी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली भाग्य। जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता। आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।
आप को अपनी चाभी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे। कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।"


अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद्। भाग्य और कर्म के बारेमे आप क्या सोचते है ये जरूर कमेंट करे आपके कमेंट अन्य लोगो के लिए मोटिवेशनल  हो सकते है। कृपया ऐसीही मनोरंजक ज्ञान भरी बातो के लिए इस ब्लॉग को फॉलो और सब्सक्राइब करें। धन्यवाद्। 

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