1)
सिमट गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में,
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.
2)
कभी कभी लिखी हुई बातों को हर कोई नहीं समझ सकता ..
क्योंकि, उसमें एहसास लिखा होता है , और लोग सिफ॔ अल्फाज पढ लेते है
3)
क्या लिखूँ.? तेरी सूरत - ए - तारीफ मेँ मेरे सनम.!
अल्फाज खत्म हो गये हैँ, तेरी अदाएँ देख-देख के.
4)
पंख लगा के उड नहीं सकती चिट्ठी मेरी
क्योंकि एहसास और अल्फाज दोनों ही बहुत भारी है इसमें
5)
गुम सुम से हो गए हैं आज कल मेरे अल्फाज
लगता है किसी चाहने वाले ने इन्हें पढ़ना छोड़ दिया
6)
सूखे होंठों से ही होती है प्यार की बातें,
प्यास बुझ जाए तो अल्फाज औऱ इंसान दोनों बदल जाते हैं!
7)
आँसू मेरे देखकर तू परेशान क्यूँ है ऐ जिन्दगी
ये तो वो अल्फाज हैं जो जुबां तक आ ना सके
8)
सुनो..कहना बहुत कुछ है तुमसे अल्फाज जरा से कम है
खामोश से तुम हो और गुमशुम से हम है
9)
कभी अल्फाज भूल जाऊ कभी खयाल भूल जाऊ,
तुझे इस कदर चाहु की अपनी सांस भूल जाऊ,
उठ कर तेरे पास से जो मै चल दू,
तो जाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊ
10)
कभी पढ कर देख,
मेरे लिखे हर एक अल्फाज को
खामोश रह कर भी,
बहुत कुछ कह जाते है..
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