नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविंदा।
श्याम सुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोंविदा।
तू ही नटवर, तू ही नागर, तू ही बाल मुकुंदा।
सब देवन में कृष्ण बडे है, ज्यू तारों बिच चन्दा।।
सब सखियन में राधा जी बडी हैं, ज्यू नदियो बीच गंगा ।
ध्रुव तारे, प्रल्हाद उबारे, नरसिंह रुप धरन्ता ।।
कालीदह में नाग ज्यो नाथों, फण फण नृत्य करन्ता।
वृन्दावन में रास रचा यो, नाचत बाल मुकुंदा ।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फन्दा।
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