भजले रे भाई सांझ सवेरे, एक माला हरि नाम की ।
जिस माला में राम नहीं, वो माला है किस काम की ।
नाम के बल पर, बजरंगीने सागर शीला तराई थी,
बाण लगा जब लखनलला को, संजीवनी पिलाई थी,
नाम के बल पर, देखो भाई, बन आई हनुमान की ।।
एक माला को माता जानकी ने, बजरंगी को दान दिया,
बजरंगी ने तोड तोडकर भूमि के ऊपर डाल दिया,
बजरंगी के हृदय बसी है, मुरत सीताराम की ।।
बडे भाग्य से सुनले मुरख, मानव तन ये पाया है,
गर्भकाल में कौल किया था, बाहर आ बिसराया है,
सब मिलकर अब जय-जय बोलो, पवन पुत्र हनुमान की ।।
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